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    हर मां सुरक्षित: एनीमिया की चुनौतियों के बीच महिला अस्पताल ने कायम किया सामान्य प्रसव का 70% रिकॉर्ड

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 04:18 PM (IST)

    बरेली के महिला अस्पताल ने एनीमिया की चुनौतियों के बावजूद 70% सामान्य प्रसव का रिकॉर्ड बनाया है। अस्पताल का लक्ष्य हर मां को सुरक्षित रखना है। यह उपलब् ...और पढ़ें

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    बरेली मह‍िला अस्‍पताल की ओपीडी में बैठीं गर्भवती मह‍िलाएं

    अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। जिला महिला अस्पताल में निजी नर्सिंग होम की अपेक्षा अधिक संख्या में सामान्य प्रसव हो रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाली गर्भवतियों में 60 प्रतिशत में खून की कमी(एनीमिया) की शिकायत होती है। इसके बावजूद जिला महिला अस्पताल में होने वाले प्रसव में 70 प्रतिशत सामान्य होते हैं।

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    यह तथ्य स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से ही सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के इस वर्ष के आंकड़ों पर ही निगाह डाली जाए, तो इस तथ्य की पुष्टि होती है, जिसके अनुसार इस वर्ष जनवरी से अब तक महिला अस्पताल में अब तक 5,190 प्रसव कराए जा चुके हैं। इसमें सामान्य प्रसव 3,480 और सिजेरियन प्रसव महज 1,710 ही हैं। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मीनाक्षी गोयल कौशिक ने बताया कि ओपीडी में एक दिन में 200 से 250 के बीच गर्भवती रूटीन चेकअप के लिए आती है, जिसमें 60 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया की शिकायत होती है।

    कुपोषित गर्भवतियों की संख्या भी काफी मिलती है। उन्हें आयरन समेत कई जरूरी विटामिन की दवाएं देकर इसकी कमी पूरा करने की कोशिश की जाती है। जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सीमा सिंह ने बताया कि पहली प्राथमिकता सामान्य प्रसव कराने की रहती है, जिससे प्रसूता जल्द स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सके। सिर्फ आपात स्थिति में ही सिजेरियन डिलीवरी कराई जाती है।

    इन परिस्थितियों में करानी पड़ती सिजेरियन डिलीवरी

    महिला रोग विशेषज्ञ ने बताया कि सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत तब पड़ती है, जब सामान्य प्रसव मां या शिशु के लिए सुरक्षित न हो। जैसे कि बच्चे की असामान्य स्थिति, प्लेसेंटा की समस्या या प्रसव में अन्य जटिलताएं। यह एक नियोजित या आपातकालीन आपरेशन हो सकता है। यह प्रसव का एक सुरक्षित तरीका है, या जब चिकित्सक को यह महसूस हो कि सामान्य प्रसव जोखिमभरा हो सकता है।

    जननी सुरक्षा योजना से बढ़े संस्थागत प्रसव

    जननी सुरक्षा योजना का मुख्य लाभ गरीब गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए वित्तीय सहायता देना है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर कम हो सके। इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को 1400 और शहरी महिलाओं को 1000 तक मिलते हैं। इसके तहत प्रसव व नवजात शिशु की देखभाल (दवाइयां, जांच, भोजन, खून) पूरी तरह मुफ्त होती है। इससे संस्थागत प्रसव बढ़े हैं।

    बाहर के खाने और जंक फूड से भी गर्भवतियों की सेहत पर पड़ता असर

    महिला अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मीनाक्षी गोयल कौशिक ने बताया क‍ि गर्भावस्था के दौरान खानपान का ध्यान नहीं रखने से महिलाओं में खून की कमी समेत कई और जरूरी विटामिन की कमी देखने को मिलती है। इसके अलावा बाहरी खाना और जंक फूड खाने का शौक इधर तेजी से बढ़ा है। इसमें पौष्टिक तत्व नहीं होते है, जो कि गर्भवती के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं। ऐसे में परिवार को भी इस पर खास तौर से ध्यान देने की जरूरत रहती है।

    जिला महिला अस्पताल में प्रसव को लेकर स्थिति

    माह कुल प्रसव सामान्य प्रसव सिजेरियन
    जनवरी 479 340 139
    फरवरी 426 285 141
    मार्च 452 311 141
    अप्रैल 192 123 69
    मई 315 203 112
    जून 403 260 143
    जुलाई 442 288 154
    अगस्त 613 409 204
    सितंबर 681 446 225
    अक्टूबर 613 428 185
    नवंबर 574 384 187

    कुल प्रसव की स्‍थ‍ित‍ि

    प्रकार संख्या
    कुल प्रसव 5,190
    सामान्य प्रसव 3,480
    सिजेरियन (C-Section) 1,710

     

    कुल प्रसव संख्या: जनवरी से नवंबर तक कुल 5,190 प्रसव हुए हैं।
    सर्वाधिक प्रसव: सितंबर माह में हुए, जिनकी संख्या 681 है।
    न्यूनतम प्रसव: अप्रैल माह में हुए, जिनकी संख्या 192 है।
    सिजेरियन दर: कुल सिजेरियन प्रसव 1,710 हैं।
    सिजेरियन प्रसव का कुल प्रसवों में प्रतिशत लगभग 32.95% है।


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