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    बेबस मां, लाचार बेटी: 9 साल की तनु के छलकते दर्द पर 'दिव्यांग शिविर' की बेरुखी

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 01:57 PM (IST)

    9 साल की तनु, जो जन्म से दोनों पैरों से लाचार है, मां सुनीता राठौर के साथ बरेली में अपने दिव्यांग प्रमाण पत्र के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही ह ...और पढ़ें

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    जि‍ला अस्‍पताल में मौजूद मरीज

    अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। नौ वर्षीय तनु के दोनों पैर जन्म से खराब हैं। मां के सहारे के बिना वह एक कदम नहीं चल सकती। फिर भी बेरहम सिस्टम को इस बच्ची की लाचारी नजर आ रही है और न उसकी मासूमियत। किला निवासी मां सुनीता राठौर के साथ वह कई बार जिला अस्पताल स्थित सीएमओ कार्यालय में सोमवार को लगने वाले दिव्यांग शिविर के चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन अभी तक तनु का दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बना सका है।

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    हर सप्ताह प्रमाण पत्र बनने की उम्मीद लेकर पहुंचने वाली मां-बेटी मायूस होकर लौट जाती हैं। दिव्यांग बेटी के लिए मां की अथक दौड़ जारी है, लेकिन व्यवस्था में जिम्मेदारों को उसके चेहरे पर बेटी का छलकता दर्द नजर नहीं आ रहा है। वहीं, नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जसौली में कार्यरत रीमा गुप्ता को मां-बेटी का यूं दौड़ लगाना देखा नहीं गया।

    वह सोमवार को स्वयं मां-बेटी को लेकर दिव्यांग शिविर में पहुंची। शिविर में अपने स्तर से पैरों से दिव्यांग तनु का प्रमाण पत्र बनाने के लिए पैरवी भी की, लेकिन उसका क्या नतीजा होगा, फिलहाल यह तय करेगा कि उसकी फरियाद को लेकर अधिकारियों के दिल में कितनी हूक उठती है?

    प्रमाण-पत्र बनवाने को भटकते रहे पातीराम

    दिव्यांगों के लिए विभिन्न सरकारी विभागों में तमाम सुविधाएं दी जाती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में दिव्यांगों की उतनी ही अनदेखी की जाती है। फरीदपुर के गांव ततारपुर मौजा गौंटिया से आए पातीराम का दिव्यांग प्रमाणपत्र खो गया है। नया बनवाने के लिए आवेदन किया।

    उसकी रसीद लेकर वह अस्पताल में इधर-उधर चक्कर काट रहे हैं। दिव्यांग शिविर के रुम में जहां चिकित्सक भी बैठे थे। वहां भीड़ के चलते पहुंचना मुश्किल था। ऐसे में बाहर खड़े लोगों से बार-बार पूछ रहे हैं...भैया मेरा सर्टिफिकेट नहीं बन रहा। पहला वाला खो चुका है।

     

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