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    बरेली के 'नगर वन' को मिला UP ईको टूरिज्म एजेंडे में स्थान! ₹10 करोड़ से बनेगी हरित क्रांति का केंद्र

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 04:53 PM (IST)

    बरेली के सीबीगंज में विकसित हो रहे नगर वन को यूपी ईको टूरिज्म के एजेंडे में शामिल किया गया है। इस परियोजना के तहत, लगभग 10 करोड़ रुपये की लागत से ईको- ...और पढ़ें

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    सीबीगंज में वन विभाग के इसी आरबोरेटम में विकसित होगा नगर वन। सौ.वन विभाग

    जागरण संवाददाता, बरेली। यूपी ईको टूरिज्म के एजेंडे में सीबीगंज में विकसित किए जा रहे नगर वन को शामिल कर लिया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ग्रीन और ईको-फ्रेंडली विजन को धरातल पर उतारा जाएगा। सोमवार को लखनऊ में वन मंत्री डा. अरुण कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में नगर वन की डिजाइन और लेआउट पर विस्तार से चर्चा की गई।

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    कंसलटेंट एजेंसी ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिये नगर वन का खाका खींचा। जिसे वन मंत्री ने अपनी सहमति दे दी है। करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाले नगर वन में ईको-फ्रेंडली कैफेटेरिया, बच्चों के लिए आधुनिक पार्क, किड्स प्ले एरिया और परिवारों के लिए सुकून भरे भ्रमण स्थल तैयार किए जाएंगे।

    जंगल के बीच लकड़ी से बने ट्री-हाउस आकर्षण का केंद्र होंगे, जहां पर्यटक अपने परिवार के साथ समय बिता सकेंगे। टहलने के लिए पाथवे, हर्बल और औषधीय पौधों की वाटिकाएं भी विकसित की जाएंगी। नगर वन को ज्ञान और जागरूकता का केंद्र बनाने की भी योजना है। प्राचीन और दुर्लभ वृक्षों की पहचान के लिए उन पर विस्तृत जानकारी अंकित की जाएगी, ताकि लोग उनकी उपयोगिता और ऐतिहासिक महत्व को समझ सकें।

    इसके साथ ही आकर्षक सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे, जो युवाओं और पर्यटकों को खासा लुभाएंगे। नाथ कारिडोर पहले से निर्माणाधीन है और नगर वन के जुड़ने से बरेली में आस्था, प्रकृति और पर्यटन का मजबूत संगम तैयार होगा। डीएफओ दीक्षा भंडारी ने बताया कि यूपी ईको टूरिज्म के साथ हुई बैठक के एजेंडे में नगर वन परियोजना को रखा गया था। जिस पर स्वीकृति मिल गई है। लखनऊ में वन मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लेआउट और डिजाइन भी फाइनल करने पर सहमति बन गई है।

    वन विभाग के साथ पर्यटन विभाग, बीडीए और नगर निगम की सहभागिता रहेगी। सीबीगंज का यह आरबोरेटम करीब 30 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है, जहां चंदन, रुद्राक्ष, केवड़ा, शाल समेत श्रीलंका में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ मौजूद हैं। बांस की कई प्रजातियां और ब्रिटिशकालीन दुर्लभ वृक्षों से समृद्ध यह क्षेत्र योगी सरकार के ईको-टूरिज्म विजन को मजबूती देने वाला साबित होगा।

    वन क्षेत्र में कोई पक्का निर्माण नहीं कराया जाएगा और एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। मुख्य वन संरक्षक के निर्देशन में यहां वनस्पतियों पर शोध और प्रशिक्षण के लिए विशेष केंद्र भी विकसित किए जाएंगे, जिससे यह क्षेत्र शिक्षा और अनुसंधान का भी हब बनेगा। परियोजना में वन विभाग के साथ पर्यटन विभाग, बरेली विकास प्राधिकरण (बीडीए) और नगर निगम की सहभागिता सुनिश्चित की गई है।

     

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