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    कभी सूखी रहती थी बहगुल नदी.. मेहनती हाथों ने निकाली धार

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 25 Jun 2021 07:47 PM (IST)

    रामगंगा की सहयोगी नदी बहगुल पर 7000 महिला-पुरुषों के मेहनती हाथ जुड़े तो जलधारा फूट पड़ी। 61 किमी लंबाई में चली खोदाई ने गांव में किसानों के लिए सिचाई के नए रास्ते खोले। वहीं सर्वाधिक रोजगार देने वाले प्रोजेक्ट के रूप में भी बहगुल नदी सामने आई।

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    कभी सूखी रहती थी बहगुल नदी.. मेहनती हाथों ने निकाली धार

    बरेली, जेएनएन : रामगंगा की सहयोगी नदी बहगुल पर 7,000 महिला-पुरुषों के मेहनती हाथ जुड़े तो जलधारा निकली। 61 किमी लंबाई में चली खोदाई ने गांव में किसानों के लिए सिचाई के नए रास्ते खोले। वहीं सर्वाधिक रोजगार देने वाले प्रोजेक्ट के रूप में भी बहगुल नदी सामने आई।

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    बहगुल का उद्गम चुरैली डैम से होता है। नदी पर नवाबगंज ग्रेम गांव में ब्रिटिश हुकुमत के समय 1904 का डैम बना है। कभी नदी में पानी होता था। तब डैम की उपयोगिता थी। लेकिन धीरे-धीरे नदी में पानी कम होता चला गया। किसानों को सिचाई के लिए नदी से पानी मिलना बंद हो गया। वर्ष 2021 की शुरुआत में बहगुल को वास्तविक स्वरूप में लाने के लिए काम शुरू हुए। जनवरी और फरवरी में चुरैली डैम से ग्रेम गांव के डैम तक 36 किमी में दो ब्लाक दमखोदा और नवाबगंज के 5,000 महिला व पुरुष नदी पर जुटे। 60 दिनों की मेहनत के बाद नदी की खोदाई पूरी की। अब बारिश शुरू होने के बाद नदी में पानी है। इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण पर भी काम चल रहा है। जून और जुलाई में ग्रेम डैम से बड़ेपुरा निकटखो गांव तक करीब 25 किमी में 11 गांव के 2,000 महिला व पुरुष मेहनत कर रहे हैं। रोजगार सेवक ओमकार सिंह के मुताबिक मानसून आने से पहले नदी पर काम खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं नदी में खोदाई के बाद पानी बढ़ने से बाढ़ का खतरा न हो। इसके लिए नदी के दोनों तरफ दो-दो मीटर की हरीत पट्टी भी तैयार हो रही है। सबसे ज्यादा रोजगार सृजन वाला प्रोजेक्ट

    डीसी मनरेगा गंगाराम के मुताबिक बहगुल नदी पर मनरेगा के तहत शुरू हुआ प्रोजेक्ट सबसे ज्यादा रोजगार सृजन वाला है। इससे ग्रेम, हरदुआ, फैजुल्लापुर, रिछौलाकिफायतुल्ला, ओरंगाबाद, मुडियाभीकमपुर, सुंडियावा, कमुआ, हरहरपुर मटकली, हाफिजगंज, नबदिया बमनपुरी, बड़ेपुरा निकटखो आदि गांवों को भी फायदा मिलना शुरू हो गया है। नदी में पानी आने के बाद सबसे ज्यादा फायदा गांव के लोगों को होता है। नदी के वास्तविक स्वरूप में आने के बाद जलसंरक्षण और पर्यावरण संरक्षण होता है। बहगुल नदी का प्रोजेक्ट हमारे सबसे अच्छे प्रयासों में एक है।

    - नितीश कुमार, डीएम बरेली