8 साल में 53 लाख रुपये खर्च फिर भी नहीं खुला रूम... इस कॉलेज में कमरा नंबर 16 की निगरानी में लगे हैं दो सिपाही
Bareilly News बरेली में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां 14.60 लाख रुपये के लैपटॉप की सुरक्षा पर 53.76 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। राजकीय इंटर कॉलेज के कमरा नंबर 16 में रखे इन लैपटॉप की सुरक्षा के लिए आठ साल से दो सिपाही तैनात हैं। अखिलेश यादव की सरकार में इन लैपटॉप का वितरण छात्रों के लिए किया गया था।
हरिप्रकाश चौहान, जागरण बरेली। 14.60 लाख रुपये के लैपटॉप, रखवाली पर खर्च 53.76 लाख रुपये...। इसकी गवाही राजकीय इंटर कॉलेज का कमरा नंबर 16 दे रहा, जिसकी चौखट पर आठ वर्ष से दो सिपाही नियमित तैनात हैं। इसमें रखे 73 समाजवादी लैपटाप की सुरक्षा के लिए पुलिस रिकॉर्ड में नया कालम भी दर्ज हो चुका-लैपटॉप ड्यूटी। लैपटॉप सीलबंद कमरे से कब बाहर निकलेंगे और सिपाही कब लैपटॉप ड्यूटी से आजाद होंगे...यह किसी को नहीं पता।
जिला विद्यालय निरीक्षक आरंभिक पत्राचार के बाद उस कमरे से मुंह फेर चुके और पुलिस को नए आदेश का इंतजार है। 2016 में बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले मेधावियों को तत्कालीन सपा सरकार की ओर से लैपटॉप बांटे जाने थे। इसके लिए राजकीय इंटर कॉलेज को जिले का नोडल सेंटर बनाया गया था।
लैपटॉप वितरण का क्रम दिसंबर 2016 तक चलता रहा। जनवरी 2017 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने पर वितरण बंदकर कमरे पर सील लगा दी गई थी। लैपटॉप की सुरक्षा के लिए दो सिपाहियों को तैनात किया गया था। 2017 का विधानसभा चुनाव खत्म हुआ, प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, फिर लैपटॉप वाले कमरे की ओर किसी ने पलटकर नहीं देखा।
शासन को पत्र भेजा, नहीं आया जवाब
तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक ने एक बार शासन को पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा था, मगर जवाब नहीं आया। इसके बाद उन्होंने या किसी अन्य अधिकारी ने पत्राचार भी नहीं किया। पुलिस अधिकारी इस इंतजार में रहे कि लैपटॉप वाला कमरा खाली हो, तभी सिपाहियों की ड्यूटी हटाई जा सकेगी। ऐसे में पुलिस लाइंस से नियमित दो सिपाही आते रहे। कमरा खुलने की उम्मीद धुंधली पड़ने लगी तो पुलिस लाइंस से सिपाहियों की एक-एक महीने की ड्यूटी लगाई जाने लगी, जोकि अभी भी जारी है।
अखिलेश यादव सरकार में बांटे थे लैपटॉप।
वर्षाें से लैपटॉप ड्यूटी चली आ रही है
इस संबंध में कार्यवाहक प्रतिसार निरीक्षक देवेंद्र कुमार का कहना है कि वर्षों से लैपटॉप ड्यूटी चली आ रही है। नया आदेश आने तक ड्यूटी लगती रहेगी। लैपटॉप उपयोगी बचे या नहीं, उन्हें कमरे से बाहर क्यों नहीं निकाला जा रहा...? ऐसे प्रश्नों पर जिला विद्यालय निरीक्षक अजीत कुमार का कहना था कि इस संबंध में शासन से निर्देश का इंतजार है। उनकी ओर से शासन को कितनी बार अवगत कराया गया, इस पर स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने प्रश्न को यह कहकर टाल दिया कि 2017 में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से पत्र भेजा जा चुका है।
सिपाहियों ने भी स्कूल में बना लिया ठिकाना
राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ओपी राय ने बताया कि खाली पड़े कमरा नंबर 16 में लैपटॉप रखे गए थे। एक अन्य कमरा खाली होने पर ड्यूटी वाले सिपाही उपयोग करने लगे। सिपाहियों की ड्यूटी पर कितना खर्च हो चुका? इस प्रश्न को पुलिस अधिकारी टाल गए। विभागीय लोगों का कहना है कि नई भर्ती वाले सिपाहियों को लैपटॉप ड्यूटी पर भेजा जाता है। ऐसे दो सिपाहियों के 28-28 हजार रुपये प्रतिमाह का औसत वेतन लगाएं तो प्रतिवर्ष 6.72 लाख रुपये बनते हैं। आठ वर्ष में इनके वेतन का कुल योग 53.76 लाख रुपये बैठता है।
लैपटॉप चलने लायक बचे भी होंगे या नहीं
कमरे में बंद लैपटॉप अब उपयोग लायक बचे होंगे या नहीं? इस पर एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस बेदी संदेह जताते हैं। उन्होंने बताया कि इतनी अवधि के बाद लैपटॉप की बैटरी खराब होने की आशंका है, मगर जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। यदि बैटरी ठीक हुई तब भी साफ्टवेयर और विंडो अपडेट करनी होगी।
विंडो-7 के लैपटॉप
सपा सरकार ने विंडो-7 वाले दो जीबी रैम और 500 जीबी हार्डडिस्क वाले लैपटाप तैयार कराए थे। इनकी अनुमानित कीमत 20 हजार रुपये बताई जा रही थी, हालांकि स्पष्ट रूप से दाम का उल्लेख नहीं हुआ था। इन्हें खोलते ही अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की तस्वीर आती थी।
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