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    धूलरहित थ्रेशर बना पूजा ने बाराबंकी को किया गौरवान्वित, राष्ट्रपति के हाथों से सम्मानित

    By Prahlad Tiwari Edited By: Dharmendra Pandey
    Updated: Fri, 26 Dec 2025 07:29 PM (IST)

    PM Bal Puruskar To Pooja Pal of Barabanki: डीएम शशांक त्रिपाठी ने प्रसन्नता व्यक्त करते पूजा को बाराबंकी का गौरव बताया। धूल रहित थ्रेशर न केवल नवाचार ...और पढ़ें

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    प्रतिष्ठित सम्मान मिलने के बाद छात्रा पूजा पाल

    प्रहलाद तिवारी, जागरण, बाराबंकी : छात्रा पूजा पाल ने शुक्रवार का दिन बाराबंकी के लिए ऐतिहासिक बना दिया। सिरौलीगौसपुर के डलईपुरवा की रहने वाली इंटरमीडिएट की छात्रा पूजा पाल को पीएम बाल पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में मिला।

    पूजा पाल के पिता पुत्तीलाल राजगीर हैं। मां सुनीला प्राथमिक विद्यालय अगेहरा में रसोइया हैं। गाइड शिक्षक राजीव श्रीवास्तव व पिता पुत्तीलाल के साथ विज्ञान भवन सम्मान ग्रहण करने गईं। वीर बाल दिवस के मौके पर शुक्रवार को विज्ञान भवन नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया। वह किशोरों की प्रेरणा बन गईं। पहली बार जिले को बाल पुरस्कार मिला। विज्ञानी चिंतन से जापान तक का सफर तय कर रायसीना हिल्स की मेहमान बनी पूजा की सिद्धि से घर-घर में आह्लाद है।

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    डीएम शशांक त्रिपाठी ने प्रसन्नता व्यक्त करते पूजा को बाराबंकी का गौरव बताया। धूल रहित थ्रेशर न केवल नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि किसानों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान भी है। कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि प्रतिभाएं किसी से कम नहीं हैं। छात्र-छात्राओं को भी विज्ञान, नवाचार और अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।

    पीएम को बताया, विज्ञानी बनना लक्ष्य

    प्रतिष्ठित सम्मान मिलने के बाद भारत मंडपम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूजा को संवाद करने का मौका मिला। शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के अनुसार पीएम ने उसके माडल को सराहा और पूछा पूजा क्या बनोगी? इस पर पूजा ने विज्ञानी बनने की बात कही।

    गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन

    बाल विज्ञानी पूजा पाल गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार से आतीं हैं। पूजा ने किसानों की दिक्कतों को महसूस कर धूल रहित थ्रेशर का आविष्कार कर नया कीर्तिमान रचा। पूजा ने यह अभिनव माडल कक्षा आठ में पूर्व माध्यमिक विद्यालय अगेहरा में पढ़ाई के दौरान बनाया था। पूजा के संघर्ष सफर छप्परनुमा झोपड़ी से शुरू हुआ। वर्ष 2021 में स्कूल में माडल बनाने को कहा गया तो पैसों की तंगी के कारण पूजा बाजार से सामग्री नहीं खरीद पाईं। घर में पड़े कबाड़ से माडल बनाने को सोचा। पुरानी टिन को जोड़कर थ्रेशर बनाया और जाली के साथ पानी टंकी लगाकर गेहूं मंडाई में निकलने वाली धूल को रोका। कूलर का मोटर लगाया और गेहूं चक्की में प्रयोग होने वाली थैली बांधी। गेहूं की मड़ाई में अनाज अलग और भूसा व धूल अलग कर किसानों को सांस से जुड़ी बीमारियों में मददगार बन गईं।

    माडल बनाने में लगे तीन माह 

    पूजा को यह माडल बनाने में तीन माह लगे। पांच दिसंबर 2022 को मंडल स्तरीय इंस्पायर अवार्ड में माडल का चयन हुआ, फिर 25 दिसंबर 2022 को राज्य स्तरीय इंस्पायर अवार्ड में सराहा गया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने 11 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड में चयन के बाद अवार्ड दिया। 30 जनवरी 2024 को आइआरआइएस नेशनल फेयर दिल्ली में स्थान मिला और 14 जून से 21 जून 2025 तक जापान की शैक्षणिक यात्रा की। जापान के विज्ञानियों ने भी माडल को सराहा। इसके साथ ही पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर बनी डाक्यूमेंट्री कर्मयोग एक अंतहीन यात्रा में पूजा के माडल को स्थान मिला।