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    बाराबंकी के ट्रामा सेंटर में इन लोगों की मौजूदगी बन रही सुरक्षा के लिए खतरा, पहले भी हो चुकी हैं ये बड़ी घटनाएं

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    बाराबंकी के ट्रामा सेंटर में मरीजों के परिजनों और डॉक्टरों के बीच विवाद आम बात हो गई है जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। बीते छह महीनों में तीन बड़ी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें बाहरी लोगों की मौजूदगी और लापरवाही उजागर हुई है। हाल ही में एक महिला मरीज की मौत के बाद फिर हंगामा हुआ जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया।

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    ट्रामा सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था पर फिर खड़े हुए सवाल।

    संवाद सूत्र, बाराबंकी। ट्रामा सेंटर आए दिन विवादों के घेरे में रहता है। मरीजों के तीमारदारों व चिकित्सकों के मध्य मारपीट व हंगामा आम बात हो गई है। एक अक्टूबर की रात दरियाबाद के इटौरा की रहने वाली महिला मरीज की मौत के बाद हुए विवाद से ट्रामा सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। यह कोई नया विवाद नहीं है। बीते छह माह में तीन बड़ी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, फिर भी जिम्मेदार चेत नहीं रहे हैं।

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    ट्रामा सेंटर में बाहरी प्राइवेट व्यक्तियों की मौजूदगी भी काफी हद तक घटनाओं को बढ़ावा दे रही हैं। शाम ढलते ही यहां परिसर में दलालों का जमावड़ा लगने लगता है।

    कई बार इमरजेंसी मेडिकल अफसर मौके पर नहीं मिलते हैं, जिससे परेशान तीमारदार हंगामा को विवश होते हैं। यहां रोगी ही नहीं चिकित्सक भी अनहोनी की आशंका से ग्रस्त रहते हैं।

    26 अप्रैल को ट्रामा सेंटर में भर्ती सिपाही की पत्नी से दुष्कर्म का प्रयास अनधिकृत वार्ड ब्वाय ने बेहोशी का इंजेक्शन लगाकर किया। इसका मुकदमा दर्ज हुआ। जांच में स्पष्ट हुआ कि आरोपित यहां पर इंटर्न कर चुका है।

    प्रशिक्षण काल की अवधि के बाद भी वह अस्पताल में कार्य कर रहा था। यह मामला जिम्मेदारों की लापरवाही की पोल खोल रहा है और बाहरी व्यक्तियों के कार्य करने की पुष्टि करता है।

    दूसरी घटना 19 अगस्त को हुई। भाजपा के पूर्व नगर मंत्री व अधिवक्ता पवनेंद्र प्रताप सिंह से की गई अभद्रता का मामला भी खूब तूल पकड़ा। रात में खूब हंगामा हुआ और उनको धरने पर बैठना पड़ा।

    डीएम से शिकायत हुई और महिला आयोग तक मामला पहुंचा। कई बार निजी अस्पतालों की एंबुलेंस की मरीजों को जिला अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल ले जाने के वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो चुके हैं।

    एक अक्टूबर की रात यहां पर हुए विवाद में चिकित्सकों ने पुलिस की मौजूदगी में हाथापाई करने का आरोप लगाया है। जिला अस्पताल चौकी प्रभारी धर्मेंद्र शुक्ल ने बताया कि सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को समझा- बुझाकर शांत कराया।

    सीएमएस डॉ. जय प्रकाश मौर्य ने बताया कि पुलिस कर्मियों के साथ निजी एजेंसी के गार्ड भी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। बाहरी व्यक्ति काम नहीं करता है।

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