मनरेगा में फेस रीडिंग से एआई लगाएगा मजदूरों की हाजिरी, केंद्र सरकार ने यूपी के इन दो जिलों को चुना
बाराबंकी और उन्नाव में मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी अब एआइ से लगेगी। श्रमिकों की आंख और चेहरे को स्कैन करके आधार नंबर से मिलान किया जाएगा। इससे गलत फोटो अपलोड करके पैसे निकालने की धोखाधड़ी रुकेगी। एनएमएमएस एप के दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने यह नई पहल की है। पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर यह व्यवस्था पूरे उत्तर प्रदेश में लागू की जाएगी।

जागरण संवाददाता, बाराबंकी। एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से मनरेगा श्रमिकों की हाजिरी लगाए जाने के लिए ट्रायल होना है। इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूपी के बाराबंकी और हरदोई चयनित किए गए थे, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से हरदोई को हटाकर अब उन्नाव को शामिल किया गया है।
श्रमिक की आंख की पुतली और चेहरा स्कैन किया जाएगा। आधार नंबर से मिलान एआइ करेगा। फेस रीडिंग होते हुए एआइ से स्वत: हाजिरी लग जाएगी। अब गलत फोटो अपलोड कर श्रमिकों के नाम पर पैसा नहीं निकाला जा सकेगा।
राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (एनएमएमएस) का दुरुपयोग कर हेरफेर किया जा रहा है। ऐसी गंभीर विसंगतियां डिजिटल एप की विश्वसनीयता को कमजोर कर रही हैं। एनएमएमएस पर अपलोड की गईं तस्वीरें महज 15 दिन में ही स्वत: डिलीट हो जाती हैं।
इसका फायदा उठाते हुए गलत फोटो डालकर पैसा निकाला जा रहा है। केंद्र सरकार अब एआइ का इस्तेमाल करने जा रही है। प्रत्येक राज्य के दो-दो जिले लेकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत टेस्टिंग करने जा रही है। यूपी के बाराबंकी और उन्नाव जिले लिए गए हैं, यहां एआइ प्रतिदिन मनरेगा में काम करने वाले श्रमिकों की तस्दीक करेगा।
केंद्र सरकार ने एनएमएमएस एप में चार विकल्प और बढ़ा दिए हैं। पहले विकल्प में जाब कार्ड संख्या भरनी होगी। दूसरे में आधार कार्ड संख्या और श्रमिक की फोटो अपलोड होगी। यह एप बाकायदा फेस रीडिंग करेगा, जिसमें व्यक्ति को चार से पांच बार पलक झपकना पड़ेगा।
तस्वीर अपलोड कर एआइ मस्टर रोल में भरे गए विवरण से तस्दीक करेगा। इसके बाद कार्य क्षेत्र की फोटो ली जाएगी। यदि मस्टर रोल में भरे गए विवरण से मिलान व्यक्ति का नहीं हो पाता है, तो उसकी उपस्थिति रिजेक्ट हो जाएगी। एक-एक श्रमिक का जब तक मिलान नहीं हो जाएगा, उसकी उपस्थिति दर्ज नहीं होगी।
अब मस्टर रोल में 100 श्रमिक दर्ज कर 40 लोगों से काम नहीं कराया जा सकेगा। जिले में चार लाख जाबकार्डों में से ढाई लाख सक्रिय कार्ड धारक हैं, जिनमें 43 हजार श्रमिकों की फेस रीडिंग कर एप पर अपलोड कर दी गई है। यह व्यवस्था फिलहाल दो ही जिले में चलेगी, लेकिन फेस रीडिंग अपलोडिंग प्रत्येक जनपदों को कराने का आदेश दिया जा चुका है।
एआइ के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूपी के दो जिले लिए गए हैं, जिसमें बाराबंकी और उन्नाव शामिल हैं। यदि ट्रायल सफल रहा तो केंद्र सरकार यूपी के प्रत्येक जनपद में व्यवस्था लागू करेगी।
-ब्रजेश कुमार त्रिपाठी, डिप्टी कमिश्नर, बाराबंकी।
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