इंसानियत जिंदा है, यह बता रही नेकी की दीवार
सानियत अभी भी जिदा है। इसका जीता जागता उदाहरण बुंदेलखंड के बांदा जिले में मिल जाता है। यहां के जिलाधिकारी की एक छोटी सी पहल गरीबों के लिए संजीवनी बन र ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बांदा : इंसानियत अभी भी जिंदा है, इसीलिए नेकी की दीवार कुछ ही समय में गांव व कस्बों तक पहुंच गई। दरअसल, डीएम हीरा लाल ने सदर तहसील में नेकी की दीवार बनाई थी। यहां लोग कपड़े और अन्य घरेलू वस्तुएं रख जाते हैं, जिसे गरीबों को बांट दिया जाता है। अब यह मुहिम प्रत्येक तहसील में शुरू की जा रही है। अतर्रा के बाद दो दिन पहले पैलानी तहसील में नेकी की दीवार की स्थापना की गई।
बुंदेलखंड के बांदा जिले में प्रशासन के छोटी से पहल गरीबों के लिए संजीवनी बन रही है। नेकी की दीवार के जरिये प्रशासन आम लोगों की मदद से सीधे गरीबों से जुड़ रहा है। डीएम कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति सहयोगात्मक दृष्टि अपना ले तो प्रशासन से भी बड़ी भूमिका में आम लोग आ जाएं। इस प्रयोग को सार्थक कर गरीबों की सेवा की जा रही है।
सप्ताह में दो दिन भोजन भी
पैलानी तहसील परिसर में बनी नेकी की दीवार में निराश्रितों के लिए रसोई घर की भी व्यवस्था है। प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को भोजन देने की शुरुआत की गई है। तहसीलदार राजीव निगम ने बताया कि भोजन और कपड़ों के अलावा परिसर में रैन बसेरा भी है ताकि जरूरतमंदों को रुकने में कोई दिक्कत न हो।
इन पर बरसी रहमत
सदर तहसील में असहाय सरवन के पास कपड़े नहीं थे। उन्हें दीवार पर रखे कपड़े उपलब्ध कराए गए। इसी तरह चिल्ला के बरेठी कला की निराश्रित महदैया को ऊनी कपड़े मिले तो उनका चेहरा खिल उठा। पैलानी की रामदेई को भी साड़ी और ऊनी कपड़े उपलब्ध कराए गए।

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