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    कर्जमुक्त हुए रघुवीर, राधा को मिला बीमा का मुआवजा...लोक अदालत में एक दिन में निपटे एक लाख से ज्यादा मामले

    Updated: Sun, 14 Dec 2025 06:38 PM (IST)

    बांदा में लोक अदालत के माध्यम से एक लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया। रघुवीर कर्ज से मुक्त हुए, वहीं राधा को बीमा का मुआवजा मिला। लोक अदालत में ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, बांदा। लोक अदालत उन लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो लोग वर्षों से कर्ज तले दबे हैं या फिर मुकदमेंबाजी में कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। हमेशा दबाव में जी रहे लोगों ने जब कर्ज व मुकदमेबाजी से निस्तारण होने के बाद मुक्ति पाई तो चेहरों में रौनक आ गई। मुस्काए चेहरों में साफ झलका कि लोक अदालत उनके लिए वरदान साबित हुआ। आज के बाद से अब उन्हें न तो पुलिस के दरवाजे आने का डर सताएगा न ही कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेंगे।

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    कभी पुलिस आने का भय तो कभी बैंक के नोटिस मिलने का डर, कभी तारीख पे तारीख का मिलने से कोर्ट कचहरी लगाने का चक्कर तो कभी कर्ज से मुक्ति पाने की जद्दोजहद। कभी रात रात कर्ज भरने की चिंता में डूबे लोगों के लिए जब बैंक से एनओसी यानी कर्ज मुक्त होने का प्रमाण पत्र मिल रहा है तो उनके लिए किसी सरकारी नौकरी पाने के प्रमाण पत्र के बराबर साबित हो रहा है। इन सभी पीड़ितों के लिए लोक अदालत फरिश्ता साबित हो रहा है। वर्षों से अपने हक के लिए लड़ रहे वादकारियों के वादों का निस्तारण मिलते ही उनके चेहरे पर चमक आ रही है। एक दो नहीं शनिवार को जिले के एक लाख 17 हजार से अधिक वादों का सुलह-समझौते से निस्तारण हुआ तो उनके लिए यह दिन खास बन गया।

     

    • केस एक 

    • अतर्रा के किसान रघुवीर कर्जमुक्त हुए तो वह बहुत थे। उन्होंने आर्यावर्त बैंक से वर्ष 2012 में 30 हजार रुपये का किसान क्रेडिट कार्ड से कर्ज लिया। बीच में बीमार हुए तो उन पर भी बहुत खर्च आ गया, इधर उधर लोगों से लेकर इलाज करवाया। बाद में बैंक से खाते का नवीनीकरण करवाया और लोगों से लिया रुपया वापस किया। खेती से वह बैंक का ऋण भर नहीं सके। वह बढ़कर तीन लाख रुपये से अधिक हो गया। अक्सर मिल रही बैंक की नोटिस से रात की नींद उड़ गई। लोक अदालत में मामले का निस्तारण हुआ तो वह बहुत खुश हुए।

     

    • केस-दो

    • तिंदवारी के सुरेश कुमार का निधन वर्ष 2015 में निधन हो गया। उसने अपने नाम बीमा करवा रखा था। नामिनी उसकी पत्नी राधा थी। बीमा कंपनी लगातार परेशान करती रही। कुछ कागजों के चक्कर में उन्हें न्यायालय में वाद दायर करना पड़ा। कई वर्ष से न्यायालय के चक्कर लगाने के बाद जब उन्हें लोक अदालत में उत्तराधिकारी मानते हुए बीमा कंपनी को पालिसी का बांड देने का आदेश दिया। राधा के लिए यह बेहद खुशी का पल था जब इतने लंबे दिनों तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने से मुक्ति मिली। साथ ही अब बीमा कंपनी से उन्हें चार लाख रुपये का बांड मिलेगा।

     

    • केस-तीन

    • पैलानी कस्बे रामगोपाल चार पहिया का चालान वर्ष 2024 में महाराणा प्रताप चौक के पास चेकिंग के दौरान कर दिया गया। सर्वर आदि की समस्या से उनकी गाड़ी का चालान दो बार हो गया। इसमें 30 हजार रुपये के चालान को लेकर वह परेशान रहे। वह कई बार अधिकारियों को इसके लिए प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बताया कि ऐसा लग रहा था कि अब उन्हें यह धनराशि जमा ही करनी पड़ेगी। लेकिन लोक अदालत ने उन्हें पांच हजार रुपये में निपटा दिया। इसके लिए वह बार-बार धन्यवाद दे रहे हैं।

     

    सबसे अधिक वादों के निस्तारण पर अधिवक्ता हुए सम्मानित

    लोक अदालत में सर्वाधिक मामलों की पैरवी कर उन्हें निस्तारित कर प्रतिकर राशि दिलवाने पर तीन अधिवक्ताओं को सम्मानित किया गया। पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह प्रथम ने अधिवक्ता यज्ञस्वरूप गुप्त, अधिवक्ता कालका प्रसाद व बीमा कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता कामता प्रसाद निगम केा प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया। अधिवक्ता यज्ञ स्वरूप गुप्ता ने बताया कि कुल 61 वादों को निस्तारित करते हुए कुल एक करोड़ 96 लाख 37 हजार रुपये की राशि प्रतिकर स्वरूप जमा करवाई गई है।