यूपी में ट्रैक्टर के बाद अब ट्रॉली और ट्रेलर को लेकर भी नियम, नंबर-बैक लाइट समेत इन नियमों का करना होगा पालन
ट्रैक्टर-ट्राली और ट्रेलरों के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। अब इनका भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। बिना पंजीयन के पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। नए नियमों के तहत ट्राली और ट्रेलरों पर 17 अंकों का चेसिस नंबर और 4 अंकों का पंजीयन नंबर दर्ज होगा। इससे इनके मालिकों का पता लगाना आसान हो जाएगा। इनके निर्माण में सड़क सुरक्षा के मानकों का भी पालन करना होगा।

जागरण संवाददाता, बांदा। सड़कों में बेरोकटोक फर्राटे भर रहे ट्रैक्टर-ट्रालियों व ट्रेलरों में अब शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है। शासन के निर्देशों के मुताबिक अब ट्रैक्टर के साथ ही ट्राली व ट्रेलर का भी पंजीकरण होगा। ट्राली व ट्रेलर पर उसका चार अंकों का अपना पंजीयन नंबर दर्ज होगा। उन पर 17 अंकों का चेसिस नंबर भी दर्ज किया जाएगा। इससे ट्राली व टेलर मालिकों का पता लगाना आसान हो जाएगा।
बिना मानकों और अवैध रूप से दौड़ रहीं ट्रैक्टर, ट्राली व ट्रेलर से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यवस्था की गई है। शासन ने ट्रैक्टर, ट्राली व ट्रेलर के पंजीयन और निर्माण में सड़क सुरक्षा के मानकों को शामिल करते हुए नई मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है।
संभागीय परिवहन विभाग में जिले में संचालित 1907 ट्रैक्टर दर्ज हैं। जिसमें से 1812 ट्रैक्टर कृषि कार्य के लिए व 95 ट्रैक्टर व्यावसायिक उपयोग के लिए दर्ज हैं। हालांकि ज्यादातर कृषि कार्य के नाम पंजीकरण वाले ट्रैक्टर व्यावसायिक उपयोग में लाए जा रहे हैं। यह सभी ट्रैक्टर व ट्राली अगल-अलग हैं। लिहाजा ट्रालियों का भी संभागीय परिवहन विभाग में पंजीयन होना चाहिये। लेकिन ऐसा नहीं है।
लिहाजा अक्सर इनके मालिकाें का पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है। कई बार अवैध रूप से मोरंग ढो रहे ट्रैक्टर-ट्राली को छापे के दौरान पकड़े जाने के भय से ट्राली को रास्ते में खोल कर भाग निकलते हैं। कमोवेश यही स्थिति ट्रेलरों की है। जिससे इनके मालिक का न पता चल पाने में कार्रवाई करने में परेशान होती है। इनमें पंजीयन संख्या अंकित होने से कार्रवाई में आसानी होगी। साथ ही आटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआइएस) के मानकों के मुताबिक ट्राली व ट्रेलर बनने से दुर्घटनाएं भी कम होंगी।
एआइएस मानक के अनुसार होगीं ट्राली लगेंगे दो एक्सल व चार टायर
इस समय बिना मानक के हाईवे से लेकर विभिन्न मार्गों पर ट्रैक्टर-ट्राली व ट्रेलर धमाचौकड़ी कर रहे है। इनके पीछे न तो बैक लाइट है और न ही रेफ्लेटर। आटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड (एआइएस) के मानकों के तहत कृषि कार्य के लिए ट्रेलर के चार मानक तय हैं। इसमें आर-एक, आर-दो, आर-तीन व आर-चार शामिल हैं। आर-दो, आर-तीन व आर-चार मॉडल का पंजीयन एग्रीकल्चर ट्रेलर के रूप में किया जाएगा।
अब किसी भी मॉडल की ट्राली में एक एक्सल नहीं होंगी। उनमें दो एक्सल होंगे। आर-दो व आर-तीन मॉडल में टायरों की संख्या चार होगी, आर-चार मॉडल आठ टायर के होंगे। इसमें प्रत्येक एक्सल में चार टायर लगाए जाएंगे।
माप व भार होगा निश्चित, आकार बदलने पर होगी कार्रवाई
आर-दो मॉडल ट्राली की अधिकतम चौड़ाई दो मीटर होगी। आर-तीन व आर-चार मॉडल की अधिकतम चौड़ाई 2.5 मीटर होगी। तीनों ही मॉडल के ट्रेलर की जमीन से अधिकतम ऊंचाई 2.2 मीटर होगी। बाडी की हुक को छोड़कर आर-दो मॉडल की ट्राली की अधिकतम लंबाई चार मीटर, आर-तीन मॉडल की पांच मीटर व आर-चार मॉडल की 6.7 मीटर होगी। आर-दो मॉडल की ट्राली का सकल वाहन भार (जीवीडब्ल्यू) छह टन तक, आर-तीन मॉडल का छह से 9.3 टन तक व आर-चार मॉडल का 10 से 12.56 टन तक होगा। जीवीडब्ल्यू की गणना का मानक 750 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर होगा।
रिफ्लेटिव टेप, बैक लाइट व कंटूर मार्किंग से होंगी लैस
इस समय तीन प्रकार की बाडी के ट्रेलर व ट्रालियां दौड़ रही हैं। पहला खुली बाडी वाले ट्रेलर, दूसरा जल टैंकर वाले ट्रेलर और तीसरा प्लेटफार्म टाइप के ट्रेलर। सुरक्षा मानकों को देखते हुए स्थानीय निर्मित ट्रेलर में रियर व साइड अंडर प्रोटेक्शन डिवाइस, बैक लाइट फिटिंग, रिफ्लेक्टिव टेप व कंटूर मार्किंग की व्यवस्था की जाएगी।
विनिर्माता को भी संभागीय परिवहन विभाग में करवाना होगा पंजीयन
सभी प्राविधानों को पूरा करने वाले विनिर्माता को परिवहन विभाग से आवंटित चार अंकों का निर्माता कोड दर्ज कराना होगा। इसका पहला अक्षर अंग्रेजी वर्णमाला का होगा, शेष तीन अंक होंगे। चार अंक के कोड में अंतिम संख्या 999 होगी। यह संख्या पूरी होने के बाद अंग्रेजी वर्णमाला का अगला अक्षर अंकित किया जाएगा। ट्रेलर विनिर्माता ट्रेलर पर 17 अंकों व शब्दों की चेसिस संख्या अंकित करेगा।
चेसिस संख्या में पहले दो अक्षर राज्य का कोड होगा। उत्तर प्रदेश के लिए पहले दो अक्षर यूपी होंगे। पहले दो अक्षर के बाद परिवहन आयुक्त कार्यालय से आवंटित चार अंक का विनिर्माता कोड, इसके पश्चात दो अक्षर में ट्रेलर का मॉडल , अगले दो अक्षर में एक्सल में टायरों की संख्या दर्ज होगी। बाएं से 11वां अक्षर निर्माण वर्ष और फिर माह दर्ज किया जाएगा।
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, शंकर जी सिंह ने बताया
ट्राली व ट्रेलर मानक के मुताबिक होना चाहिए, इनका भी पंजीयन करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। बिना पंजीयन के ट्राली व ट्रेलर पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
इसे भी पढ़ें: Maha Kumbh Stampede: मौनी अमावस्या में भगदड़ के बाद अब कैसे हालात, टाइमलाइन समझें... सुबह से अब तक क्या-क्या हुआ?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।