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    हर बार चकमा दे जाता था… फेल हो गए सभी प्लान, फिर लगाई तरकीब और एक झटके में पकड़ा गया नरभक्षी

    Updated: Thu, 04 Jan 2024 01:00 AM (IST)

    आतंक का पर्याय बन चुकी नरभक्षी मादा तेंदुआ को वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया। दो माह के बीच तेंदुए ने छह बच्चों को अपना निवाला बनाया था। बुधवार सुबह करीब सवा छह बजे विशेषज्ञ व वन विभाग की टीम ने बेलवा गांव के पास बहदिनवा नाला में तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया। इसके बाद जाल में फंसाकर तेंदुए को पिंजरे में कैद किया गया।

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    ट्रैंकुलाइज कर पिंजरे में कैद की गई नरभक्षी मादा तेंदुआ। जागरण

    जागरण संवाददाता, बलरामपुर। आतंक का पर्याय बन चुकी नरभक्षी मादा तेंदुआ को वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया। दो माह के बीच तेंदुए ने छह बच्चों को अपना निवाला बनाया था। 

    बुधवार सुबह करीब सवा छह बजे विशेषज्ञ व वन विभाग की टीम ने बेलवा गांव के पास बहदिनवा नाला में तेंदुए को ट्रेंकुलाइज किया। इसके बाद जाल में फंसाकर तेंदुए को पिंजरे में कैद किया गया। पकड़े जाने के बाद तेंदुए के मादा होने की पुष्टि हुई। 

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    फिलहाल, उसे जनकपुर रेंज में रखा गया है। उच्चाधिकारियों के निर्णय पर उसे लखनऊ या गोरखपुर के चिड़ियाघर में भेजा जाएगा। तेंदुए के पकड़े जाने के बाद भी गांव में दहशत बनी है। वन विभाग की पिंजरा व ड्रोन कैमरा टीम एहतियात के तौर पर गांव में मुस्तैद है।

    साहस व सूझबूझ से पकड़ी गई मादा तेंदुआ

    तेंदुए के लगातार पशुओं व मनुष्यों पर हमलावर होने पर वन विभाग बहदिनवा नाला को प्राकृतवास मानकर सर्च अभियान चला रहा था। थर्मल ड्रोन कैमरे में भी लगातार बहदिनवा नाला के पास ही उसकी लोकेशन भी ट्रेस हो रही थी। इसलिए नाला के पास ही मचान से तेंदुए की निगरानी की जा रही थी। 

    लगातार तेंदुआ वन विभाग की टीम व विशेषज्ञों को छका रहा था। इसलिए तेंदुए को पकड़ने के लिए विशेषज्ञों ने भी सूझबूझ से काम लिया। मचान से थोड़ी दूर पर खुले में बकरा बांधा गया। उसके गले में छोटी रस्सी डालकर खूंटे से बांधा गया। पिछले पैर में बड़ी रस्सी बांधी गई, जिसका एक सिरा मचान से बांधा गया। 

    योजना के अनुसार, बुधवार सुबह करीब छह बजे तेंदुए ने बकरे के गले में बंधी छोटी रस्सी काटकर उसे जबड़े में दबोच लिया। बकरे को ले जाते समय पैर में बंधी बड़ी मोटी रस्सी का खिंचाव मचान पर हुआ। इस पर जौनपुर के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरके सिंह, उप प्रभागीय वनाधिकारी एमबी सिंह, डाॅ. दयाशंकर व कृष्ण कुमार सिंह टीम के साथ मचान से नीचे उतरे। 

    रस्सी के सहारे पीछा करते हुए बहदिनवा नाला तक पहुंचे। देखा कि तेंदुआ बकरे को खा रही थी। इस पर डॉ. आरके सिंह ने ट्रैंकुलाइजर गन से निशाना साधा। तेंदुआ तुरंत गिरकर बेहोश हो गई। इस पर उसे जाल में फंसाकर पिंजरे में डाला गया।

    छह बच्चे बने थे तेंदुए का निवाला

    तारीख - गांव - तेंदुए का शिकार

    11 दिसंबर - धर्मपुर - समीर अंसारी (10 वर्ष)

    03 दिसंबर - भगवानपुर कोड़र - अनुष्का (09 वर्ष)

    24 नवंबर - बनकटवा - रितेश (05 वर्ष)

    16 नवंबर - बेलवा - विकास (07 वर्ष)

    11 नवंबर - लालनगर सिपहिया - अरुण वर्मा (06 वर्ष)

    04 नवंबर - लालनगर सिपहिया - वंदनी (03 वर्ष)।

    तेंदुए को कैद करने के बाद जनकपुर रेंज में लाया गया है। वह पूरी तरह स्वस्थ है। अब तक तेंदुए के हमले में गई बच्चों की जान व घायलों की सारी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर गोरखपुर या लखनऊ चिड़ियाघर भेजा जाएगा। दहशत को देखते हुए बेलवा गांव में टीम लगी है। 

    -डॉ. एम सेम्मारन, डीएफओ।

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