बलिया के चांद दियर में NH 31 पर बाढ़ का पानी रिसने से मचा हड़कंप, प्रशासन ने बंद कराया रिसाव
Flood in Ballia बलिया के बैरिया में सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर से चांद दियर में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर रिसाव होने लगा जिससे ग्रामीण चिंतित हो गए। पिछले साल भी यहाँ सड़क बह गई थी। उप जिलाधिकारी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एनएचआई और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के कर्मचारियों को बुलाया।

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया)। सरयू नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण चांद दियर में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर जहां पिछले वर्ष सड़क बह गई थी। उससे करीब 30 मीटर आगे रविवार को फिर बाढ़ का पानी राष्ट्रीय राजमार्ग के दूसरी तरफ रिसने लगा। यह देख ग्रामीणों के हाथ पैर फूलने लगे।
ग्रामीणों को लगा कि इस वर्ष भी उन्हें बाढ़ की विभीषिका की दंश पिछले वर्ष की तरह झेलनी पड़ेगी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना उप जिलाधिकारी बैरिया आलोक प्रताप सिंह को दी। उप जिलाधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे और एनएचआई तथा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के कर्मचारियों अधिकारियों को मौके पर बुलाया। जहां ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के कर्मियों द्वारा सीमेंट के बोरियों में मिट्टी भरकर रिसाव वाले जगह पर मजदूरों से डलवाया गया। वहीं दूसरी तरफ पानी के अंदर जेसीबी से बोरियों को डालकर रिसाव बंद कराया गया।
उप जिलाधिकारी ने बताया कि हर घर नल जल योजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के नीचे पाइप डाल गया था। जिसके चलते रिसाव हो रहा था। रिसाव को बंद कर दिया गया है। खतरे वाली कोई बात नहीं है। सब कुछ सामान्य हो गया है। बावजूद इसके मौके पर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के कर्मचारी व पुलिस की तैनाती कर दी गई है। ताकि किसी भी तरह के अप्रिय स्थिति उत्पन्न होने पर तत्काल कार्रवाई हो सके।
मालीपुर-सुपापाली नहर टूटी, किसानों की फसल डूबी
नगरा क्षेत्र के मालीपुर-सुपापाली गांव के समीप शनिवार को दोहरीघाट पंप कैनाल की नहर टूट गयी।जिससे किसानों की धान की फसल डूबने लगी है। टूटी नहर को रविवार दोपहर तक भी बांधने का कार्य नहीं हो सका है। मालीपुर सुपापाली नहर सुपापाली गांव के समीप शनिवार को टूट गयी है। लगभग दस फीट की चौड़ाई में न टूटी नहर का पानी किसानो के खेतों में अनवरत जा रहा है। जिसके चलते सैकड़ों एकड़ धान की खेती जलमग्न हो गई है। नहर को टूटे 24 घंटे बीत जाने के बाद भी सिंचाई विभाग लापरवाह बना हुआ है।
वहीं नहर से सटे राजेंद्र गोंड के खेत की आठ मंडा धान की फसल पानी के धार से बह गई है। साथ ही अन्य किसानों की फसल डूबने लगी है। इस समय बारिश भी लगातार हो रही है उसके बाद नहर में अत्यधिक जल भराव के वजह से नहर जगह जगह-जगह टूट जा रही है। स्थानीय किसान धर्मेंद्र कुमार, रमेश यादव, रामाशीष पटेल, संतोष कुमार, सूर्यप्रकाश सिंह, रोशन कुमार का कहना है कि दूसरे दिन भी सिंचाई विभाग को कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। जिससे कटान और तेजी से हो रहा है। इसको जल्द से जल्द नहीं बांधा गया तो गांवों में भी पानी पहुंच सकता है। नहर विभाग कि लापरवाही किसानो में रोष व्याप्त है।
बलिया में बाढ़ की स्थिति
बलिया में गंगा का उच्चतम खतरा बिंदु 60.390 मीटर पर है। रविवार को सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 59.360 मीटर पर पहुंच गया था। गंगा में एक सेमी प्रति घंटा बढ़ाव हो रहा है। सरयू का खतरा बिंदु 64.010 मीटर पर है। इसका जलस्तर भी 63.110 मीटर पर पहुंच गया है। टोंस नदी का खतरा बिंदु 60.00 मीटर पर है। टाेंस का जलस्तर 60.700 मीटर पर पहुंच गया है। ऐसे में जनपद के 379 गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने लगा है। लोग गांव से पलायन कर सड़क किनारे शरण ले रहे हैं। बाढ़ से लगभग 4.23 लाख आबादी के प्रभावित होने का अनुमान है। सभी नदियां अभी भी बढ़ाव पर हैं। जिला प्रशासन की ओर से सभी गांवों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। 61 बाढ़ चौकियों को सक्रिय किया गया है। शहर के मोहम्मदपुर और गंगा उस पार नौरंगा में कटान से भी अफरा-तफरी मची है।
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