बलिया में गंगा कटान से नौरंगा चक्की में फिर गिरे सात मकान, मची-अफरा-तफरी
बलिया के बैरिया स्थित नौरंगा चक्की में गंगा नदी में बढ़ाव के कारण कटान तेज हो गया है जिससे सात और पक्के मकान नदी में समा गए। गाँव में अफरा-तफरी मची है और लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। 100 से अधिक मकान गंगा में समाहित हो चुके हैं और लोग बांध पर शरण ले रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया)। गंगा मेें बढ़ाव के साथ चक्की नौरंगा में फिर से कटान तेज हो गया है। सोमवार को कुल सात लोगों का पक्का मकान गंगा में समाहित हो गया। इससे गांव में अफरा-तफरी की स्थिति है। लोग घर के सामान को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने में जुटे हैं। अभी भी कटान के मुहाने पर 30 से अधिक मकान हैं।
जग नारायण ठाकुर, गणेश ठाकुर, शिव शंकर ठाकुर, एकराम राम, नंद जी राम, दिनेश्वर राम, शिवकुमार चौबे का मकान और गांव का बगीचा देखते ही देखते गंगा में समाहित हो गया। सूचना पाकर पहुंचे तहसील प्रशासन के लोग नुकसान का जायजा लिए। गांव में मकान गिरने का सिलसिला पिछले एक माह से जारी है। अभी तक 100 से अधिक मकान नदी में गिर चुके हैं। जबकि वाराणसी सहित गाजीपुर और मीरजापुर में सोमवार को भी गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा था।
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वहीं दूसरी ओर कटान में घर गिरने के बाद लोग बांध पर जाकर शरण ले रहे हैं। तहसील प्रशासन की ओर से पीड़ितों को बाढ़ राहत किट दिया जा रहा है, लेकिन वह रहने के लिए कोई स्थायी व्यवस्था का इंतजार कर रहे हैं। गणेश ठाकुर ने बताया कि राशन आदि से कोई राहत नहीं है। कटान में घर गिरने के बाद कहीं भी घर खड़ा करने में समय लगेगा। ऐसे में तहसील की ओर से रहने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा नहीं होने के कारण सभी लोग परेशान रह रहे हैं। ग्राम प्रधान सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि यह प्राकृतिक आपदा है। इसे कोई टाल नहीं सकता है, लेकिन कटान पीड़ितों को कम से कम असुविधा न हो, इसका ख्याल प्रशासन को रखना चाहिए।
बोले प्रशासनिक अधिकारी
गंगा के जलस्तर बढ़ने से नौरंगा चक्की में फिर कटान हो रहा है। बचाव कार्य के लिए सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिकारियो को कहा गया है। लेखपाल क्षति का आकलन कर रहे हैं। सभी के रहने की व्यवस्था भी की जा रही है। -आलोक प्रताप सिंह, उप जिलाधिकारी, बैरिया
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