खेती से मुनाफा कमा नजीर बनीं महिला किसान
जागरण संवाददाता, दुबहड़ (बलिया) : कौन कहता है कि महिलाएं कड़ी मेहनत व परिश्रम का काम
जागरण संवाददाता, दुबहड़ (बलिया) : कौन कहता है कि महिलाएं कड़ी मेहनत व परिश्रम का काम नहीं कर सकतीं, आवश्यकता है तो बस उनको नैतिक सहयोग व स्वतंत्रता देने की। जी हां, क्षेत्र के सांसद आदर्श गांव ओझवलिया की महिला रीता वर्मा आज खेती-किसानी का कार्य कर इसको पूरी तरह चरितार्थ कर रही हैं। यह महिला गृहस्थी के साथ-साथ खेतीबारी में भी पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर आगे बढ़ती जा रही हैं। रीता वर्मा पूरे वर्ष सब्जी की खेती करती हैं। इसके लिए पहले वह मिट्टी की जांच कराती हैं फिर मौसम अनुकूल खेती करती हैं। सब्जी की खेती से पूरे परिवार का भरण-पोषण व बच्चों की शिक्षा देती हैं। आवश्कता पड़ने पर गांव की महिलाओं की मदद में थाने से लेकर जिला प्रशासन तक का दरवाजा भी खटखटाने में देर नहीं करतीं। वह पूरे दमदारी के साथ कहती हैं कि नौकरी सरकारी या फिर खेती-तरकारी। वर्तमान समय में वह एक एकड़ में पालक की खेती की हैं तो इसके साथ ही गाजर की भी बोआई की हैं। 70 से 75 दिनों में पालक की फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है। इसमें प्रति एकड़ आठ से 10 हजार खर्च आता है तो साग के तैयार हो जाने पर 50 हजार रुपये तक का बिक जाता है। गाजर लगभग 20 हजार रुपये देता है जिससे अगली फसल हेतु पूंजी मिल जाती है। स्थानीय थाना क्षेत्र के ओझवलिया गांव की पूर्ण अर्थव्यवस्था खेती पर ही निर्भर है। रीता वर्मा की खेती देख गांव की महिलाएं भी अपनी लज्जा छोड़ खेती में रम गई हैं। आज इसकी वजह से वह पूरे क्षेत्र में नजीर भी बन गई हैं। वह एक खेत में तीन फसल बोती हैं। पहले की कटाई के बाद दूसरी व तीसरी फसल तैयार मिलती है। फसलों को व्यापारी खेत से ही लेकर चल जाते हैं। वह पूरी खेती नगदी फसल के तौर पर ही करती हैं जिससे पैसे का कभी अभाव नहीं रहता। वह किसानों से कहती हैं कि खेती के लिए पहले मिट्टी की जांच कराएं फिर मिट्टी के अनुकूल फसल व दवाओं का प्रयोग करें। मिट्टी जांच से किसानों को सहज ही उसकी कमी का पता चल जाता है। इससे किसान आसानी से इसका उपाय कर फसलों का पूरा लाभ पा सकते हैं।
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