भागवत कथा के श्रवण मात्र से मिलता है मोक्ष
व्यक्ति कितना भी अधम क्यों न हो सच्चे मन से श्रीमछ्वागवत महापुराण का श्रवण करने मात्र से पापों से मुक्ति मिल जाती है। भागवत कथा कलिकाल में मानव मात्र के लिए उस नौका के समान जिस पर सवार हुए बिना भवसागर से पार पाना मुश्किल है। उक्त उद्गार गंगा पुत्र श्रीलक्ष्मी नारायण त्रिदण्डी स्वामीजी महाराज ने व्यक्त किया।
जागरण संवाददाता, सागरपाली (बलिया) : व्यक्ति कितना भी अधम क्यों न हो सच्चे मन से श्रीमद्भागवत महापुराण का श्रवण करने मात्र से पापों से मुक्ति मिल जाती है। भागवत कथा कलिकाल में मानव मात्र के लिए उस नौका के समान जिस पर सवार हुए बिना भवसागर से पार पाना मुश्किल है। उक्त उद्गार गंगा पुत्र श्रीलक्ष्मी नारायण त्रिदंडी स्वामी महाराज ने व्यक्त किया। तमसा नदी के तट पर बसे मुबारकपुर गांव स्थित श्री पशुपतिनाथ बाबा तपोस्थली पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन उपस्थित श्रद्धालुओं से कही। कहा कि भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। इससे प्रेत योनी व असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। परिवर्तन संसार का नियम है, जिसे मनुष्य मृत्यु समझता है वस्तुत: वहीं जीवन है। एक क्षण में मनुष्य करोड़ों का स्वामी बन जाता हो, दूसरे ही क्षण में दरिद्र नारायण हो जाता है। भागवत कथा मनुष्य के संपूर्ण क्लेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है। उन्होंने अच्छे और बुरे कर्मो को विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कलियुग में मोक्ष का सबसे बड़ा साधन भागवत कथा है। इस दौरान पूर्व मंत्री नारद राय, अवध बिहारी राय, गौरीशंकर राय, रमाशंकर राय, कमलेश राय, केशव राय, सुरेंद्र खरवार, मनोज कुमार सहित काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
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