बलिया में मछली माफिया ने रोका नदी का जल प्रवाह, हजारों एकड़ खेती पर संकट
बलिया के नरहीं क्षेत्र में मंगई नदी और बोकहरा नाले में अवैध मछली मारने वालों ने पानी का प्रवाह रोकने के लिए टीन शेड का इस्तेमाल किया है। इससे गडहांचल और करईल क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के हजारों एकड़ खेत अभी भी बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं।

जागरण संवाददाता, (नरहीं) बलिया। मंगई नदी और बोकहरा नाले में अवैध मछली मारने वालों ने पानी के प्रवाह को रोकने के लिए टीन सेड का उपयोग किया है। इसके परिणामस्वरूप गडहांचल और करईल क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में हजारों एकड़ खेतों में बाढ़ का पानी अब भी जमा है। इससे एक ओर जहां हजारों बिघा धान की फसल पर संकट मंडरा रहा है, वहीं दूसरी ओर रवी की बुआई में भी देरी का खतरा उत्पन्न हो गया है।
गडहांचल के नरहीं, सुरापाली, कैथवली, बडौरा, मर्ची, वसुदेवा, दौलतपुर, फिरोजपुर, कथरिया, पिपरा, चौरा, सोहांव, बघौना, टुटुवारी, मेडवरा, दुलारपुर, एकौनी, पुनीपुर जैसे गांवों में गंगा का पानी मंगई नदी के माध्यम से आता है। जब गंगा का जलस्तर घटता है, तो यह पानी लौटकर इन गांवों के खेतों में जाता है। लेकिन, अवैध मछली व्यापार करने वाले कुछ दबंगों ने करीब डेढ़ दर्जन स्थानों पर पानी में टीन की चादर लगाकर जल प्रवाह को रोक दिया है। इसके कारण गंगा के घटाव के बाद भी इन गांवों के खेतों से पानी नहीं निकल पा रहा है।
रविवार को किसानों ने इन अवैध मछली मारने वालों का विरोध किया। जब विरोध का कोई असर नहीं हुआ, तो उन्होंने सामूहिक रूप से थाने में प्रार्थनापत्र देकर जल प्रवाह को बहाल करने की अपील की। किसानों का कहना है कि मंगई नदी या बोकहरा नाले पर मछली मारने के लिए किसी को भी पट्टा नहीं दिया गया है।
पिछले बाढ़ के दौरान जब इसी तरह का काम हुआ था, तब करईल के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के पुत्र पियूष के नेतृत्व में हजारों किसानों और मछली माफियाओं के बीच संघर्ष हुआ था। उस समय तत्कालीन उपजिला अधिकारी बलिया ने आदेश जारी किया था कि किसानों के हित में यहां मछली मारने पर प्रतिबंध रहेगा। फिर भी, कुछ दबंग और मनबढ़ लोग ऐसी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहे हैं।
सहकारी समिति चितबडागांव के अध्यक्ष अनूप राय, किसान नेता संतोष सिंह और भाजपा के मंडल अध्यक्ष प्रशांत राय ने बताया कि हर वर्ष बाढ़ के बाद इन मछली माफियाओं के आतंक से बचने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ती है। पुलिस ने कई बार मुकदमा दर्ज किया है, लेकिन मछली माफिया पर इसका कोई असर नहीं हो रहा है। हालांकि, बाढ़ के बाद मछलियों की भारी मात्रा में मौजूदी मछली माफिया को लालच भी दे रही है।
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