जेल की व्यवस्था में 'नंबरदार' का होता महत्वपूर्ण रोल
बलिया : किसी भी जेल के अंदर की व्यवस्था में कारागार प्रशासन के साथ ही कैदियों में से ही तैनात 'नम्बरदार' का महत्वपूर्ण रोल होता है। वह एक तरह से जेल प्रशासन व कैदियों के बीच की एक कड़ी होता है। नम्बरदार बनने के लिए कैदी को जेल प्रशासन के मानक पर पूरी तरह से खरा उतरना होता है। उसे अपने कामों के प्रति ईमानदारी बरतनी होती है। 'नम्बरदार' को पीले रंग के वस्त्र में जेल की व्यवस्था में लगाया जाता है। जेल प्रशासन इस तरह के कैदियों को पारिश्रमिक भी देता है। साथ ही जेल के अंदर इन्हें आम कैदियों से अलग रखा जाता है। 'नम्बरदार' बनने वाले कैदियों के लिए मानक रखा गया है। जेल मैनुअल 1894 से 'नम्बरदार' की तैनाती जेल में होती आ रही है। जनपद में वर्तमान समय में 44 'नम्बरदारों' की तैनाती की गई है। 'नम्बरदार' बनने वाले कैदी के लिए आवश्यक है कि वह कम से कम एक चौथाई सजा काट लिया हो। साथ ही उसकी गतिविधियां जेल प्रशासन के प्रति सहयोगात्मक हो। इसके बाद ही इनका चयन होता है। जो जिस तरह के काम लायक होता है उसी हिसाब से उसे जिम्मेदारी दी जाती है। इसमें सबसे बड़ा ध्यान यह दिया जाता है कि कैदी पेशेवर तो नहीं है। ऐसा होने पर उसे यह दायित्व नहीं सौंपा जाता है। नम्बरदारों की ड्यूटी कर्मचारियों की तरह अगल-अलग लगती है। जेल में किसी अनहोनी के समय यह कैदी व प्रशासन की बीच की कड़ी होते हैं। साथ ही कैदियों की गोपनीय बातों को प्रशासन तक पहुंचाने का काम करते हैं।
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