मेडिकल कालेज में चिकित्सक कर सकेंगे पांच विषयों में डिप्लोमा
प्रक्रिया शुरू जल्द संचालित की जाएंगी फैमिली मेडिसिन बेहोशी आंख बाल व स्त्री रोग विषयों में डिप्लोमा आफ नेशनल बोर्ड की कक्षाएं
बहराइच : अब एमबीबीएस डाक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। राजकीय मेडिकल कालेज में चिकित्सक पांच विषयों में डिप्लोमा कर सकेंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ)की टीम के निरीक्षण का इंतजार किया जा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग गंभीर है। इसी कड़ी में नवसृजित राजकीय मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की कक्षाएं तो चल ही रही हैं, डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जाने की तैयारी की जा रही है। इससे पांच विषयों के दो-दो विशेषज्ञ चिकित्सक जिले को अनवरत मिलते रहेंगे।
डिप्लोमा आफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी)के तहत यहां जिन विषयों को चुना गया है, उनमें फैमिली मेडिसिन, बेहोशी, आंख, बाल, स्त्री एवं प्रसूति रोग शामिल हैं। दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू होने से यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी दूर हो सकेगी। इसकी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। फार्म भर दिया गया है और प्रत्येक विषय के लिए निर्धारित दो-दो लाख रुपये बतौर फीस जमा की जा चुकी है।
सर्जरी के तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी राजकीय मेडिकल कालेज में शुरू करने पर विचार चल रहा है। यहां डिप्लोमा हासिल होने से स्थानीय स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सक सुलभ होंगे और मरीजों को सामान्य परिस्थितियों में इलाज के लिए राजधानी लखनऊ की दौड़ नहीं लगानी होगी।
चिकित्सक अध्यापकों के नाम भी तय
डिप्लोमा कोर्स की कक्षाएं संचालित करने के लिए चिकित्सक शिक्षकों के नाम तय हो चुके हैं। आंख के लिए डा. सुषमा मरांडी, फैमिली मेडिसिन के लिए डा. अनूप कुमार, बेहोशी के लिए डा. ओपी पांडेय, बाल रोग के लिए डा. परवेज, स्त्री एवं प्रसूति रोग के लिए डा. ऋचा यादव शामिल हैं। इसके साथ ही डिप्लोमा कोर्स संचालित करने के लिए आवश्यक संसाधन भी जुटा लिए गए हैं।
कोट
विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए राजकीय मेडिकल कालेज में डीएनबी कोर्स संचालित करने की तैयारी की जा रही है। इसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। एमसीआइ की टीम जल्द यहां पहुंच कर सुविधाओं का जायजा लेगी। इसके बाद अनुमति मिल जाएगी।
-डा. ओपी पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक