UP News: यमुना में धमाके के साथ 15-20 फीट तक उछला पानी, मचा प्लेन क्रैश का शोर, दौड़े बागपत के अधिकारी, यह थी वजह
Baghpat News बागपत के गांव मवीकलां में यमुना नदी के पास गैस पाइप लाइन में दो जगह लीकेज होने से अफरातफरी मच गई। लोगों ने हवाई जहाज क्रैश होने की अफवाह सुनी और यमुना की ओर दौड़ पड़े। अधिकारियों ने गैस सप्लाई बंद कराकर जांच शुरू करा दी। लोगों ने गैस कंपनी की लापरवाही को इसका कारण बताया है।

जागरण संवाददाता, बागपत। मवीकलां में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे के पास यमुना नदी से गुजर रही गैस पाइप लाइन दो स्थानों से लीक हो गई। इस दौरान तेज धमाके की आवाज करीब दो किलोमीटर तक सुनाई दी। हवाई जहाज क्रैश का शोर मच गया। चारों ओर अफरातफरी मच गई। ग्रामीणों की भीड़ एकत्र हुई। उन्होंने कहा कि संयोग से बड़ा हादसा होने से टल गया। इसके लिए गैस कंपनी की लापरवाही जिम्मेदार है।

लोगों ने सुना तेज धमाका, दौड़े यमुना की ओर
शनिवार दोपहर करीब 12.00 बजे तेज धमाके के साथ यमुना में पानी 15-20 फीट उछलने लगा। काठा व मवीकलां में शोर मच गया कि हवाई जहाज क्रैश हो गया है। लोग यमुना की ओर दौड़ पड़े। देखते ही देखते लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई।
खेकड़ा एसडीएम, बागपत कोतवाली प्रभारी दीक्षित कुमार त्यागी, फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच की। अधिकारियों ने सूचना देकर गैस सप्लाई बंद कराई गई। कोतवाली प्रभारी का कहना है कि गेल कंपनी की प्राकृतिक गैस की लाइन यमुना से गुजर रही है, जो लीकेज हुई है। कोई नुकसान नहीं हुआ है।
उधर इस मामले में जाट समाज के जिला अध्यक्ष देवेंद्र धामा का कहना है कि गैस कंपनी की लापरवाही से हादसा हुआ है। यमुना में पानी ज्यादा होने की वजह से बड़ा हादसा टल गया। यहां पर किसान काम करते हैं तथा श्रद्धालु भी यमुना में स्नान करते हैं, गनीमत रही कि उस समय वहां पर कोई नहीं था।
इस मामले में एसडीएम खेकड़ा निकेत वर्मा का कहना है कि नदी के प्रवाह व पत्थर के टकराव से गैस पाइप लाइन फ्रैक्चर हुई है। यह जानकारी गेल गैस कंपनी के सुरक्षा अधिकारियों ने दी है। गैस की सप्लाई बंद कर कंपनी की एक टीम लाइन की मरम्मत करने में लगी है। पुलिस-प्रशासन, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड मुस्तैद है। कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।
पहले भी हो चुकी है लाइन लीकेज
यह पहली घटना नहीं है। करीब डेढ़ साल पहले छपरौली क्षेत्र के ग्राम जागौस में यमुना नदी में ही गैस पाइप लाइन फट गई थी, तब भी नदी में काफी पानी आया हुआ था। गैस सप्लाई बंद करने के बाद ही स्थित पर काबू पाया गया था। करीब दो-तीन माह बाद मरम्मत कर लाइन चालू की गई थी।

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