जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने फिर फहराया परचम
करीब 44 साल से जल संरक्षण की मुहिम में जुटे हैं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह।
बागपत, जेएनएन। करीब 44 साल से जल संरक्षण की मुहिम में जुटे रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने फेम इंडिया एशिया की सर्वे रिपोर्ट में जगह बनाकर फिर परचम फहराया है। इस सर्वे रिपोर्ट में ऐसी 50 शख्सियत को शामिल किया है, जो अपने काम के दम पर सुर्खियों में बने रहे हैं। पिछले एक साल से राजेंद्र सिंह जल नीति में सुधार की मांग, गंगा को निर्मल कर गंगत्व बचाने, गंगा पर श्वेत पत्र जारी करने, जल साक्षरता तथा जंगल बचाओ-जीवन बचाओ जैसे अभियानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं। वह राजस्थान में अलवर जिले के भीकमपुरा गांव में रहकर पर्यावरण के लिए काम करने वाली तरुण भारत संघ संस्था चलाते हैं।
----- 61 साल के जीवन में 44 साल पानी को समर्पित
जिले के डौला गांव में छह अगस्त 1959 को जन्मे राजेंद्र सिंह आयुर्वेद में स्नातक व हिदी से एमए हैं। उन्होंने 44 साल में राजस्थान में 11800 जल संरचनाएं बनवाकर 1200 गांवों को पानीदार बनाया। देशभर में अरवरी, रुपारेल, सरसा, भगानी, महेश्वरा, साबी, तबिरा, सैरनी, जहाजवाली, अग्रणी, महाकाली व इचनहल्ला समेत 12 नदियों को पुनर्जीवित कराया। 60 देशों में जल संरक्षण यात्रा की। डौला में 700 साल पुराना तालाब पुनर्जीवित कराया।
----- ये मिले पुरस्कार
जल संरक्षण पर राजेंद्र सिंह को साल 2001 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 2005 में जमनालाल बजाज पुरस्कार मिला। 2008 में द गार्जियन ने उन्हें ऐसे 50 लोगों की सूची में शामिल किया, जो पृथ्वी को बचा सकते हैं। 2015 में स्टॉकहोम वॉटर प्राइज, 2018 में हाउस आफ कामन्स, यूनाइटेड किगडम में अहिसा सम्मान, साल 2019 में अमेरिका सियटल से अर्थ रिपेयर और नई दिल्ली में पृथ्वी भूषण सम्मान मिल चुका है।
-------- डौला गांव में जश्न
इस उपलब्धि पर राजेंद्र सिंह के पैतृक गांव डौला में कृष्णपाल सिंह, रवि प्रताप, संगीता, शादाब अहमद, युनूस, शिवानी, टिकल राणा, खुशी और बिल्लू आदि ने मिटाई बांटकर खुशी मनाई।
-------- तीसरा विश्वयुद्ध रोकने को पानी बचाना होगा
राजेंद्र सिंह ने बुधवार को फोन पर दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि पानी बचाकर ही तीसरा विश्वयुद्ध रोका जा सकता है। नदियों, तालाबों समेत परंपरागत जल स्त्रोत नहीं बचाए, तो जीवन संकट में पड़ जाएगा।
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