गंभीर लकवे की बीमारी, फिर हार्ट ट्रांसप्लांट, इसके बाद देश के लिए जीते मेडल, यानि राहुल के जज्बे का जवाब नहीं
Baghpat News बागपत के राहुल प्रजापति ने गंभीर लकवा और हृदय प्रत्यारोपण के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। 2017 में उन्हें लकवा हुआ जिसके बाद हृदय प्रत्यारोपण हुआ। एम्स के डॉक्टरों और परिवार के सहयोग से उन्होंने नई उम्मीद जगाई। राहुल ने खेल जीवन की शुरुआत की और कई पदक जीते।

सुरेन्द्र कुमार, जागरण, बागपत। मुसीबतें जब पहाड़ बनकर सामने आती हैं तो इंसान का हौसला ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बन जाता है। जनपद के गांव धनौरा सिल्वर नगर निवासी राहुल प्रजापति ने यह साबित कर दिखाया। एक गंभीर पैरालिटिक स्ट्रोक और फिर हृदय प्रत्यारोपण जैसी कठिन परिस्थितियों से गुजरने के बावजूद राहुल ने हार नहीं मानी और आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व अंग प्रत्यारोपण खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
30 वर्षीय राहुल ने बताया कि दिल्ली के अशोका होटल में वह शेफ थे। दिसंबर 2017 में पैरालिटिक स्ट्रोक (गंभीर लकवा) आया और उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। जांच के बाद चिकित्सकों ने साफ कर दिया कि उनकी जान केवल हृदय प्रत्यारोपण से ही बच सकती है।
18 फरवरी 2018 को राहुल का सफल हृदय प्रत्यारोपण हुआ। शुरुआती महीनों में ऐसा लगने लगा कि शायद आगे का जीवन दूसरों पर निर्भर रहकर ही कटेगा। एम्स दिल्ली के सीनियर प्रोफेसर डाक्टर संदीप सेठ और ट्रांसप्लांट सर्जन डा. देवगुरु वेलेओडम के मार्गदर्शन तथा परिवार के सहयोग से राहुल ने नई उम्मीद जगाई।
महज 11 महीने बाद ही उन्होंने नौकरी शुरू कर दी और जीवन की एक नई राह पकड़ी। उन्होंने बताया कि हमेशा बचपन से खेलों से जुड़ाव रहा। बीमारी के बाद कभी नहीं सोचा था कि दोबारा मैदान में उतर पाएंगे। किस्मत ने उन्हें एक नया अवसर दिया और उन्होंने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण खेलों से खेल जीवन की शुरुआत की। राहुल का कहना है कि जीवन में कोई भी बाधा इतनी बड़ी नहीं होती जिसे हौसले और मेहनत से पार न किया जा सके।
वह गर्व से कहते हैं कि उन्होंने न केवल अपना जीवन फिर से खड़ा किया, बल्कि भारत और अपने जिले का नाम भी दुनिया में रोशन किया। राहुल का सपना है कि वह आने वाले समय में भी इसी तरह देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रोशन करते रहें और उन लोगों के लिए प्रेरणा बनें जो जीवन की कठिनाइयों से हार मान चुके हैं।
ये हैं राहुल की प्रमुख उपलब्धियां
खेलों में ये रही राहुल की उपलब्धि वर्ष 2022 में मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण खेलों में राहुल ने बैंडमिंटन में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद 2023 में आस्ट्रेलिया के पर्थ में हुए विश्व अंग प्रत्यारोपण खेलों में उन्होंने डिस्कस थ्रो मे कांस्य पदक अपने नाम किया। दिसंबर 2023 में राष्ट्रीय खेलों में राहुल ने फिर बैडमिंटन में स्वर्ण पदक हासिल किया। वर्ष 2024 में बैंकाक में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खेलों में उन्होंने बैंडमिंटन के डब्ल्स में कांस्य पदक जीता और हाल ही में 2025 में जर्मनी के ड्रेसडेन में आयोजित विश्व अंग प्रत्यारोपण खेलों में भी पेटैंक (फ्रांस का खेल) खेल में कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम लहराया।
प्रतिष्ठित होटलों में रहे हैं शेफ
राहुल के पिता ईश्वर सिंह गुरुग्राम में प्राइवेट नौकरी करते हैं। मां गृहणी हैं बड़ी बहन की शादी हो चुकी है। छोटा भाई प्राइवेट नौकरी करता है। दोनों भाई अविवाहित हैं। राहुल की प्राथमिक व उच्च शिक्षा दिल्ली में हुई। उन्होंने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। फिर अशोका होटल में इंडियन कांटिनेंटल शेफ के पद पर कार्य किया। 2019 से लेकर 2022 तक राजस्थान के जोधपुर हाउस में शेफ रहे। वर्ष 2023 में मध्य प्रदेश चले गए जहां उन्होंने प्रतिष्ठित होटल में शेफ का कार्य किया।
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