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    Bharat Ratna : यूपी की इस सीट से 40 साल तक विधायक रहे थे चौधरी चरण सिंह, यहीं से बने मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री

    Updated: Fri, 09 Feb 2024 01:50 PM (IST)

    पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह छपरौली से छह बार 1937 से 1977 तक विधायक रहे थे। यहां से जीतकर मुख्यमंत्री बने और बागपत लोकसभा सीट से जीतकर प्रधानमंत्री बने। 80 से ज्यादा साल से छपरौली आरएलडी का एक अभेद किला है। 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद चौधरी चरण सिंह ने केंद्र की राजनीति का रुख कर लिया।

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    Bharat Ratna : यूपी की इस सीट से 40 साल तक विधायक रहे थे चौधरी चरण सिंह

    जागरण संवाददाता, बागपत : बागपत जिले की छपरौली विधानसभा सीट चौधरी परिवार का अभेद्य किला कहा जाता है। यहां से चौ. चरण सिंह लगातार 40 साल तक विधायक रहे। यहीं से वे मुख्यमंत्री बने और फिर बागपत लोकसभा सीट से जीतकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। वर्तमान में छपरौली सीट से राष्ट्रीय लोकदल के डा. अजय कुमार विधायक हैं।

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    पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह छपरौली से छह बार 1937 से 1977 तक विधायक रहे थे। यहां से जीतकर मुख्यमंत्री बने और बागपत लोकसभा सीट से जीतकर प्रधानमंत्री बने।

    80 से ज्यादा साल से छपरौली आरएलडी का एक अभेद किला है। 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद चौधरी चरण सिंह ने केंद्र की राजनीति का रुख कर लिया। फिर उनकी बेटी सरोज वर्मा 1985 में और उनके बेटे चौधरी अजित सिंह 1991 में छपरौली से विधायक चुने गए थे। चरण सिंह की पार्टी से एडवोकेट नरेंद्र सिंह छपरौली से पांच बार विधायक बने थे।

    कांग्रेस से शुरु की थी राजनीति 

    चौधरी चरण सिंह ने चुनाव लड़ना कांग्रेस से ही शुरू किया। 1952, 1962 और 1967 की विधानसभा में जीते। गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी रहे। राजस्व, कानून, सूचना, स्वास्थ्य जैसे कई मंत्रालय में भी रहे। संपूर्णानंद और चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में भी मंत्री रहे।

    1967 में चरण सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय क्रांति दल नाम से अपनी पार्टी बना ली। इनके ऊपर राम मनोहर लोहिया का हाथ था। उत्तर प्रदेश में पहली बार कांग्रेस हारी और चौधरी चरण सिंह मुख्यमंत्री बने 1967 और 1970 में।

    जब सहेंद्र रालोद के टिकट पर जीतकर भाजपा के हो लिए...

    चौ. चरण सिंह की ऐतिहासिक छपरौली विधानसभा सीट पर रालोद से चुने गए इकलौते विधायक सहेंद्र सिंह रमाला के भी वर्ष 2018 में भाजपा का दामन थामते ही बागपत केसरिया रंग में रंग गया था।

    चौधरी घराने का मजबूत किला ढहने से रालोद शून्य पर पहुंच गई थी। 80 साल के इतिहास में पहली बार हुआ था, जब भाजपा ने रालोद को आउट कर छपरौली में एंट्री मारी थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व इस सियासी उलट-फेर से भाजपाई गदगद और रालोदी खामोश हो गए थे।