आई थी ट्राइसाइकिल लेने, DM ने दिलवाई नौकरी, प्रेरणादायी है हादसे में पिता को खोकर दिव्यांग हुई आकांक्षा की कहानी
Baghpat News बागपत की आकांक्षा शर्मा ने एक सड़क हादसे में अपने पिता को खो दिया और खुद दिव्यांग हो गईं। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वह कलक्ट्रेट में डीएम अस्मिता लाल से मिलीं और ट्राइसाइकिल दिलाने की गुहार लगाई। इसी दौरान डीएम ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और एक कंपनी में नौकरी दिलवा दी।

जहीर हसन, जागरण, बागपत। हादसे में पिता को खोया। आंख खुली तो खुद को वेंटिलेटर पर पाया। डाक्टर बोला कि ये लड़की नहीं बचेगी पर बच गई। मगर जीवनभर के लिए दिव्यांग हो गई, इसलिए ट्राइसाइकिल दिलाने की गुहार लेकर आई, लेकिन डीएम ने नौकरी दिला दी। यह कहानी है आकांक्षा शर्मा की, मुसीबत जिनका हौसला नहीं तोड़ पाई।
वर्ष 2023 में टूटा मुसीबत का पहाड़
मुकारी गांव निवासी 28 वर्षीय आकांक्षा शर्मा एमकाम उत्तीर्ण हैं। दो साल पहले वर्ष 2023 में उन पर मुसीबत का पहाड़ तब टूटा, जब सड़क हादसे में उनके पिता वीरेश शर्मा की मौत हो गई तथा वह खुद गंभीर घायल हो गई। स्वजन ने एम्स दिल्ली में भर्ती कराया, जहां डाक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर लिया, मगर सांस और नाड़ी बंद होती देख डाक्टर के मुंह से निकला कि मुझे नहीं लगता यह लड़की बचेगी। वह बच गई, लेकिन लंबा इलाज चलने तथा दिव्यांग होने के कारण उनकी बैंक की नौकरी जाती रही।
परिवार में नहीं था कोई कमाने वाला
खुद की नौकरी जाने और पिता की मौत से परिवार में कोई कमाने वाला नहीं था। बातों ही बातों में पराए ही नहीं अपने भी कह देते कि तुम कुछ नहीं कर पाओगी, लेकिन आकांक्षा ने हिम्मत नहीं हारी। मां उर्मिला शर्मा का साया था, इसलिए उसने ठान लिया कि वह हार नहीं मानेगी। समाज में नकारात्मक सोच के बीच उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। दो माह पहले वह कलक्ट्रेट में डीएम अस्मिता लाल से मिलीं और ट्राइसाइकिल दिलाने की गुहार लगाई।
डीएम पहचान गईं काबिलियत
ट्राइसाइकिल देने के साथ बातों ही बातों में डीएम अस्मिता लाल उनकी काबिलियत पहचान गईं। डीएम ने उनसे रिज्यूम भेजने को कहा। घर जाते ही उन्होंने डीएम को रिज्यूम मेल कर दिया। डीएम ने उनका यह रिज्यूम बागपत की एक कंपनी को भेजा। इंटरव्यू प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण थी, लेकिन आत्मविश्वास एवं पूर्व की नौकरी का अनुभव काम आया। 20 हजार रुपये प्रतिमाह एकाउंटेंट पद पर नियुक्ति मिल गई, जिससे अब उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है।
खुद को कमतर न समझें दिव्यांग
आकांक्षा शर्मा ने डीएम मैडम को धन्यवाद दिया है। कहा कि दिव्यांग व्यक्ति भी जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, इसलिए बुरे से बुरे वक्त में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। सही समर्थन, संवेदनशील नेतृत्व एवं आत्मविश्वास से हर कोई सपनों को साकार कर सकता है।
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