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    इस तकनीक से भूमि रिकार्ड में हो रहा सुधार, बागपत जिले की तीनों तहसीलों में हो रहा अंश निर्धारण

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 09:12 PM (IST)

    Baghpat News बागपत में किसानों के भूमि अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए अंश निर्धारण अभियान चल रहा है। तहसीलों में शिविर लगाए जा रहे हैं जहाँ भूमि स्वामित्व प्रमाणीकरण और आरटीके सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस अभियान में आरटीके तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जिससे भूमि के वास्तविक आयामों का सटीक मापन संभव है।

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    किसानों के भूमि अधिकार सुनिश्चित करने को चलाया विशेष अंश निर्धारण अभियान (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, बागपत। जनपद में किसानों को उनके भूमि अधिकार सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा चलाया गया विशेष अंश निर्धारण अभियान सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भूमि स्वामित्व को स्पष्ट करना, भूमि रिकार्ड को डिजिटल रूप में सुदृढ़ बनाना और किसानों को उनके अंश निर्धारण से संबंधित समस्याओं का त्वरित व पारदर्शी समाधान उपलब्ध कराना है।

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    जिलाधिकारी अस्मिता लाल के निर्देशानुसार जनपद की तीनों तहसीलों बागपत, बड़ौत और खेकड़ा में हर मंगलवार को सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक विशेष अंश निर्धारण शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों में भूमि स्वामित्व प्रमाणीकरण, अवशेष गाटा निर्धारण, आरटीके सर्वेक्षण आधारित डेटा संग्रह व सत्यापन कार्य एक साथ संपन्न किए जा रहे हैं। इस व्यवस्था से किसानों को बार-बार तहसील का चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं रहती जिससे समय व श्रम दोनों की बचत हो रही है।

    आंकड़ों के अनुसार कुल 317,323 ग्राम गाटा में से 262,505 ग्राम गाटा का अंश निर्धारण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, जो कुल का 82.72 प्रतिशत बनता है। बागपत तहसील में कुल 107,160 ग्राम गाटा में से 82,999 का अंश निर्धारण (77.45%) हुआ, बड़ौत तहसील ने 170,863 ग्राम गाटा में से 150,850 का अंश निर्धारण (88.29%) पूरा किया, जबकि खेकड़ा तहसील ने कुल 39,300 ग्राम गाटा में से 28,656 का अंश निर्धारण (72.92%) संपन्न किया।

    इस अभियान में RTK GPS तकनीक Real-Time Kinematic Global Positioning System का व्यापक उपयोग किया गया। आरटीके तकनीक की मदद से भूमि के वास्तविक आयाम, सीमांकन व भू-स्थैतिक जानकारी सटीक रूप से मापी जाती है। प्राप्त डेटा को जिओ रेवेन्यू पोर्टल में अपलोड किया गया ताकि सभी कार्य डिजिटल माध्यम से पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपन्न हो सकें। इससे भूमि स्वामित्व प्रमाणीकरण के निर्धारण में त्रुटियों की संभावना समाप्त हो गई है।

    जिलाधिकारी ने यह भी निर्देशित किया कि जिन ग्राम गाटाओं में अवशेष गाटा की समस्या हो, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र निस्तारित किया जाए। अभियान के दौरान प्राप्त डेटा का क्रास वेरिफिकेशन भूलेख पोर्टल से भी किया जा रहा है ताकि रिकार्ड में पूर्ण समानता बनी रहे।

    जिलाधिकारी ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए कि अंश निर्धारण की प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से संपन्न हो ताकि भविष्य में किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न न हो। तहसीलदार व नायब तहसीलदार को न्यायालय में समय देकर मामलों का शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

    जिलाधिकारी ने कहा कि इस अभियान से किसानों को अंश निर्धारण से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान शीघ्रता से मिलेगा। आरटीके तकनीक के उपयोग से भूमि रिकार्ड की पारदर्शिता, सटीकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी। यह कदम भू-राजस्व प्रणाली में नए युग की शुरुआत साबित होगा, जिससे किसान अपने अधिकारों की सुरक्षा के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ भी आसानी से उठा सकेंगे।