Ajit Singh: किसानों के लिए धड़कता था दिल, उन्हें प्यार से पुकारते थे छोटे चौधरी, सात बार रहे बागपत से सांसद
Ajit Singh मील का पत्थर बन गए अजित के काम जिला पंचायत सदस्य सुभाष गुर्जर कहते हैं कि अजित सिंह ने बागपत के लोगों से दिल से लगाव किया। 2018 को नौरोजपुर गुर्जर में हुक्का गुड़गुड़ाया तथा हमारा मन रखने को घोड़े पर भी सवार हुए।

बागपत, जागरण टीम, (जहीर हसन)। किसानों के दिलों पर राज करने वाले स्व. चौधरी अजित सिंह की आज जन्मतिथि है। किसानों में छोटे चौधरी की छवि गढ़ गए अजित सिंह के काम खेती-किसानी के उत्थान में मील का पत्थर साबित हुए। उन्होंने न केवल बागपत समेत देश में 45 चीनी मिल लगवाने बल्कि कृषि उपज एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लगी पाबंदी हटाने जैसी मिसाल कायम की।
बागपत से सात बार सांसद रहे अजित सिंह
बागपत से सात बार सांसद रहे अजित का जन्म मेरठ के तत्कालीन भदौला गांव (अब बुलंदशहर में) 12 फरवरी 1939 को हुआ था। लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी, आइआइटी खड़गपुर से बीटेक और अमेरिका के इलिनोयस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से एमएस (मास्टर आफ साइंस) के बाद उन्होंने वहीं आइबीएम कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी की।
वर्ष 1986 में पिता चौधरी चरण सिंह के बीमार होने पर नौकरी छोड़कर अमेरिका से भारत लौटकर राज्यसभा सदस्य बने। विधायक डा. अजय कुमार बताते हैं कि अजित सिंह ने उद्योग मंत्री रहते 1996 में बागपत के मलकपुर समेत देश में 45 नई चीनी मिलें लगवाई थीं।
सत्ता में रहकर गांव में कराए विकास
रालोद नेता ओमबीर ढाका बताते हैं कि अजित सिंह ने सत्ता में रहकर गांव के विकास, किसानों के उत्थान और साझी विरासत मजबूत करने को अपने एजेंडे पर जीवनभर काम किया। उन्होंने खाद्य मंत्री की हैसियत से न्यूनतम वैधानिक मूल्य के तहत प्रति टन गन्ना सप्लाई पर किसान के लिए 750 ग्राम चीनी का कोटा जारी कराया।
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‘धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत’ पुस्तिक के अनुसार वर्ष 2002 में कृषि मंत्री रहते शीरे से बनने वाले इथेनाल को पेट्रोल में पांच प्रतिशत मिश्रण की मंजूरी दिलाई। गुड़ नियंत्रण कानून रद कराया। कृषि उपज एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने पर लगी रोक हटाने, वर्ष 2001 में कृषि मंत्री रहते हुए गो पशुधन आयोग और बुनकर आयोग गठन व कृषि आय को इनकम टैक्स दायरे से बाहर रखवाने जैसे काम किए।
लोकसभा चुनाव में जीत
- वर्ष 1989
- वर्ष 1991
- वर्ष 1996
- वर्ष 1997
- वर्ष 1999
- वर्ष 2004
- वर्ष 2009
इन वर्षों में रहे थे केंद्रीय मंत्री
- 1989 से 90 : उद्योग मंत्री
- 1995 से 96 : खाद्य मंत्री
- 2001 से 03 : कृषि मंत्री
- 2011 से 14: नागरिक उड्डयन मंत्री।
अंतिम पड़ाव पर हार का दर्द
अजित को वर्ष 1998 तथा 2014 में बागपत, वर्ष 2019 में मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव में हार का दर्द सहना पड़ा था।
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