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    'अग्नि की लपटों' से निकली है 'पद्मावती'

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 08 Oct 2017 10:48 PM (IST)

    अश्वनी त्रिपाठी, बागपत : Þ महारानी पद्मावती पधार रही हैं..'। यह ट्वीट है पद्मावती फिल्म में महारान

    'अग्नि की लपटों' से निकली है 'पद्मावती'

    अश्वनी त्रिपाठी, बागपत :

    Þ महारानी पद्मावती पधार रही हैं..'। यह ट्वीट है पद्मावती फिल्म में महारानी पद्मिनी का किरदार निभा रहीं अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को जो हाल ही में किया है। रानी के जीवन के तथ्यों से कोई छेड़छाड़़ न हो, इसलिए निर्माता संजय लीला भंसाली ने फिल्म की पटकथा रानी के जीवन पर वर्षों शोध कर चुके खेकड़ा के इतिहासकार तेजपाल धामा के उपन्यास Þअग्नि की लपटें Þ से तथ्य लेकर लिखी है।

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    अब तक 16 ऐतिहासिक उपन्यास लिख चुके बागपत के खेकड़ा निवासी इतिहासकार तेजपाल धामा का चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी पर एक उपन्यास है-'अग्नि की लपटें'। इस उपन्यास में उन्होंने रानी पद्मिनी के बचपन से लेकर जौहर तक का वर्णन बरसों शोध करने के बाद किया है। रानी पद्मिनी के जीवन पर फिल्म 'पद्मावती' के निर्माण के दौरान निर्माता संजय लीला भंसाली को तेजपाल धामा की शोध पुस्तक के बारे में मालूम चला। इस पर भंसाली ने इनसे मुलाकात की। उन्हें यह शोध उपन्यास काफी पसंद आया। इस उपन्यास के कापीराइट भंसाली प्रोडक्शन ने उनसे एक साल पहले खरीदे। तेजपाल बताते हैं कि भजन सम्राट अनूप जलोटा पहले रानी पद्मावती पर फिल्म बनाना चाहते थे। उन्होंने भी उपन्यास अग्नि की लपटों के लिए तब कापीराइट लेने की बात कही थी। लेकिन बाद में यह बात अधूरी रह गई। फिल्म 1 दिसंबर 2017 को सिनेमा घरों में आएगी। इससे पूर्व रानी पद्मावती के जीवनकथा से छेड़छाड़ को लेकर फिल्म विवादों में है। तेजपाल के अनुसार उनके शोध उपन्यास में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे रानी पद्मिनी की छवि पर आंच आए।

    पद्मिनी को बताया लंका की बेटी, फिल्म की यही कहानी

    उपन्यास अग्नि की लपटें में पद्मिनी को श्रीलंका की बेटी सिद्ध किया गया है और उनके बचपन का चित्रण अशोक वाटिका में खेलते-कूदते एवं संस्कृत का अध्ययन करते हुए दिखाया गया है। चित्तौड़ के राजा रतन ¨सह स्वयंवर के बाद उसे चित्तौड़ लाए थे। उपन्यास के अनुसार अलाउद्दीन ने पद्मिनी को पाने की कुचेष्टा की, लेकिन जब वह उसके करीब पहुंचा, तब तक वह जौहर की चिता में जल चुकी थी।

    बौद्ध भिुक्षु करना चाहता था रानी से विवाह

    धामा के उपन्यास में कई रहस्य फिल्म को रोचक बनाते हैं। किताब में लिखा है कि राजा रतन सिंह का पद्मिनी से दूसरा विवाह था। वह भी राजा की पहली पत्नी के कहने पर हुआ था। राजा की पहली पत्नी ने एक दिन राजा से दूसरा विवाह करने के लिए कहा, उसके पालन में राजा पद्मिनी को स्वयंवर में पत्नी बनाकर लाए। एक बौद्ध भिक्षु राघव का उल्लेख भी धामा के उपन्यास में ही मिलता है। इसमें साफ उल्लेखित है कि बौद्ध भिक्षु राघव ने पद्मिनी के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा था। पद्मिनी ने ऐसा करने से मना कर दिया। बाद में यह भिक्षु अलाउद्दीन से मिल गया। पद्मिनी के पिता के नाम को लेकर मतभेद हैं, धामा ने अपने उपन्यास में पद्मिनी के पिता का नाम वर्योधन राजशेखरन बताया है। फिल्म में भी ऐसा ही नाम है, ऐसा तेजपाल ने कहा।

    तेजपाल का परिचय

    उपन्यासकार तेजपाल धामा ने अब तक उनके 16 ऐतिहासिक उपन्यास, 5 काव्य संग्रह, 1 महाकाव्य लिखे हैं। हमारी विरासत, पृथ्वीराज चौहान एक पराजित विजेता इनका सर्वाधिक बिकने वाला उपन्यास है। राजस्थान की दस प्रमुख रानियों पर इन्होंने खोजपरक उपन्यासों की एक श्रृंखला लिखी। इसमें रानी पद्मिनी पर अग्नि की लपटें भी शामिल है। इन्हें वीरांगना लक्ष्मीबाई गौरव सम्मान, 'रेड ऐंड व्हाइट गोल्ड अवॉर्ड', 'दीनदयाल उपाध्याय सम्मान', 'साहित्यश्री सम्मान', 'देवगुरु बृहस्पति सम्मान' इम्वा अवार्ड, संस्कृति मनीषी सम्मान से विभूषित किया जा चुका है।