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    Rashid Khan Singer: यादों में राशिद, बदायूं की गलियों से निकल संगीत की पहचान बने, रामपुर-सहसवान संगीत घराने का एक अध्याय समाप्त

    Updated: Wed, 10 Jan 2024 11:50 AM (IST)

    Classic Singer Ustad Rashid Khan Passed Away शास्त्रीय संगीत के सरताज के बारे में जिक्र किया जाए तो उसमें राशिद खान का नाम हमेशा शामिल रहेगा। ऐसे में उनके निधन से भारतीय संगीत जगत को एक बड़ा झटका लगा है। बताया गया है कि बीते 22 नवंबर से उस्ताद राशिद खान कोलकाता के पियरलेस हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था। बदायूं से उनका खास रिश्ता अब यादों में रहेगा।

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    Rashid Khan Singer: बदायूं की गलियों से निकल संगीत की पहचान बन गए थे राशिद

    जागरण संवाददाता, बदायूं। Rashid Khan Singer: शास्त्रीय संगीत गायक पद्मभूषण उस्ताद राशिद खान मंगलवार को दुनिया छोड़ गए। स्थानीय कबूलपुरा मुहल्ला में पुश्तैनी मकान उनकी स्मृतियों को हमेशा जोड़े रहेगा। इस मकान के एक हिस्से में रहने वाले फुफेरे भाई दानिश बदायूंनी बताते हैं कि 12 वर्ष पहले वह घर आए थे। उसके बाद व्यस्तता के कारण लौट नहीं सके मगर, स्वजन से फोन पर बातचीत होती रहती थी। उनके निधन से रामपुर-सहसवान संगीत घराने का एक अध्याय समाप्त हो गया।

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    दानिश बदायूंनी बताते हैं कि राशिद चार वर्ष के थे, उसी दौरान माता शाकरी बेगम का निधन हो गया था। सात वर्ष की आयु में उन्हें नाना निसार हुसैन अपने साथ मुंबई ले गए। उन्होंने ही राशिद को संगीत की शिक्षा देनी शुरू की। इसके बाद नाना आइटीसी संगीत शोध एकेडमी, कोलकाता में कार्यरत हुए तो राशिद को भी अपने साथ ले गए। 14 वर्ष की आयु में राशिद ने बड़े मंचों पर प्रस्तुति देनी शुरू कर दी थी।

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    पिता की इच्छा को आगे बढ़ाया

    पिता हामिद रजा की इच्छा के अनुसार वह परिवार को परंपरा को आगे बढ़ाने लगे। वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री और 2022 में पद्मभूषण मिला था। इस बीच उन्होंने कोलकाता में माता शाकरी बेगम के नाम से संगीत एकेडमी का संचालन शुरू कर दिया था। राशिद खान के नाना निसार हुसैन और मामा गुलाम मुस्तफा खान भी पद्म भूषण थे। परिवार में संगीतमय माहौल मिला। नाना उनके उस्ताद बने थे।

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    ममेरे भाई ने कहा, गहरा धक्का लगा

    राशिद खान का बचपन नाना के घर बीता था। मंगलवार शाम को मुंबई में रहने वाले ममेरे भाई रब्बानी मुस्तफा खान को फोन किया तो भावुक थे। बोले, हम दोनों ने बचपन एक साथ गुजारा। उनके साथ बिताया हुआ हर क्षण आंखों के सामने घूम रहा है। उस्ताद राशिद का निधन हमारे परिवार के लिए बड़ी क्षति है। हम सभी को गहरा धक्का लगा है।

    रामपुर-सहसवान घराने ने संगीत को दी ऊंचाई

    राशिद खान रामपुर-सहसवान घराने के संस्थापक उस्ताद इनायत हुसैन के परपोते थे। इनायत हुसैन नेपाल में राजगायक भी रहे थे। परिवार के लोग बताते हैं कि वर्ष 1957 में घराने के उस्ताद मुस्ताक हुसैन खान को पद्मभूषण अवार्ड मिला था। उनके बाद निसार हुसैन खान, गुलाम मुस्तफा खान, हफीज अहमद खान, गुलाम सद्दीक खान को पद्मश्री अथवा पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका। 

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