न करें हेडफोन का प्रयोग, दुर्घटना से होगा बचाव
कहने को तो सड़क पर चलना आसान है। बिना कुछ सोचे समझे कहीं भी चले जाओ, लेकिन यातायात के नियम पालन करने की सीख नहीं देते हैं।
बदायूं : कहने को तो सड़क पर चलना आसान है। बिना कुछ सोचे समझे कहीं भी चले जाओ, लेकिन यातायात नियम का पालन करना बहुत जरूरी है। वाहन पर चलते समय सोचा जाता है कि लोग बहुत व्यस्त होंगे, इसलिए रुककर फोन पर बात नहीं कर सकते, लेकिन सड़क दुर्घटना में हाथ-पैर गवां देने के बाद आभास होता है कि काश रूककर ही बात कर ली होती। वाहन चलाते समय, सड़क पैदल चलते बात करना, हेडफोन पर बात करना सामान्य हो गया है। जो खुद तो चोटिल होते हैं, साथ ही सामने वालों का जीवन भी दुश्वार कर देते हैं। आसपास के हॉर्न की आवाज सुनने के लिए कानों पर कुछ न लगा होना चाहिए। विभागों के जिम्मेदारी ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं करते।
किसी भी चौराहे पर खड़े हो जाएं, हर एक घंटा में कम से कम पांच लोग दो व चार पहिया वाहन चालक फोन पर बात करते जाते हैं। जो चौराहों पर भी कान से फोन नहीं हटाते। अचानक किसी के सामने आने से या तो ब्रेक लगाने पर फोन गिर जाता है, तबतक सामने वाले के टक्कर लग चुकी होती है। कार से जाने पर तेज आवाज में म्यूजिक बजाया जाता है। सबसे ज्यादा समस्या स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवाओं के साथ है। जो हेडफोन लगाकर वाहन चलाते हैं। सहयात्रियों से बात करते समय दिमाग उनकी बातों में रहता है और रास्ते से ध्यान हट जाता है। जिसकी वजह से सड़क दुर्घटना हो जाती है।
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यात्रा करते समय ध्यान रखें, अगर चालक कानों पर हेडफोन लगाकर बात कर रहा हो तो उसे टोकें। खुद भी इसका प्रयोग करने से बचें। तो सुरक्षित रहेंगे।
- खसालउद्दीन फोटो 16 बीडीएन 32
समय रहते सुधर जाएं तो बेहतर रहेगा। दो पहिया हो या चार पहिया। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- मनोज शर्मा फोटो 16 बीडीएन 33
स्कूल-कॉलेज में भी छात्र-छात्राओं को जागरूक करने की जरूरत है कि वह हेडफोन का प्रयोग न करें। फोन आने पर सड़क के साइड में रूककर बात करें।
- मयंक गुप्ता फोटो 16 बीडीएन 34
सड़क पर पैदल चलते समय भी मोबाइल पर ध्यार रहने की वजह से हॉर्न तक की आवाज समझ में नहीं आती है। सड़क दुर्घटना से बचना है तो इसी रोकें।
- नीलेश सक्सेना