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    बदायूं में जहर का व्यापार: नशामुक्ति केंद्र के आंकड़े बताते हैं, पुलिस की नाक के नीचे बिक रही है अफीम

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 07:00 AM (IST)

    बदायूं में अफीम की धड़ल्ले से बिक्री! जिला अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र की रिपोर्ट ने चौंकाया है। केंद्र में आने वाले मरीजों ने खुलासा किया कि शहर, दातागंज, ककराला, अलापुर और बिनावर जैसे इलाकों में अफीम पुड़िया के रूप में खुलेआम बिक रही है। लगातार बढ़ते अफीम के मरीज पुलिस और समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं।

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    बदाूयं जि‍ला अस्‍पताल

    उमेश राठौर, जागरण, बदायूं। यह बात भले ही पुलिस विभाग को अटपटी लगे लेकिन यह सौ प्रतिशत सत्य है कि जिले में अफीम की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। कई इलाकों में खुलेआम अफीम पुड़िया के रूप में बिक रही है। इसको लेकर ककराला, अलापुर, बिनावर और दातागंज कस्बे के अलावा शहर के कुछ इलाके लगातार बदनाम होते जा रहे हैं, जहां लगातार अफीम बेची जा रही है। यह हम नहीं कह रहे जिला अस्पताल के नशामुक्ति केंद्र की रिपोर्ट बता रही है। जहां रोजाना दो-चार मरीज नशामुक्ति केंद्र में पहुंच रहे और उपचार करा रहे हैं।

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    जिला अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में शराब, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट, पान, पुड़िया समेत सभी प्रकार के नशा करने वाले मरीज पहुंच रहे हैं। उनमें सबसे ज्यादा तंबाकू और शराब का सेवन करने वाले मरीजों की संख्या है और यह मरीज जिले भर से जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। उनका लगातार उपचार भी हो रहा है। अस्पताल में जो दवाइयां दी जा रही हैं, उससे मरीज भी ठीक हो रहे हैं लेकिन अब कुछ ऐसा नशा करने वाले मरीज आ रहे हैं जो पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

    पुलिस के होते हुए कई इलाकों में अफीम की बिक्री हो रही है। कुछ इलाकों में अफीम पुड़िया बनाकर बेची जा रही है। लोग इसका लगातार सेवन कर रहे हैं। दिन प्रतिदिन अफीम का सेवन करने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह समाज व पुलिस के लिए चिंता करने वाली बात है। इसकी लत ऐसी है कि एक बार लग जाए तो फिर लोगों को छुड़ाना मुश्किल हो जाती है। यह नशा भी जानलेवा बताया जा रहा है। इसका ज्यादा सेवन करना मरीज के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे उसकी जान जा सकती है। इसके बावजूद जिले में इसकी बिक्री बढ़ रही है।

    कुछ समय पहले तक अफीम सड़क किनारे ढाबों पर बेचने की बात सामने आई थी लेकिन अब यह शहर व कस्बों में बेची जा रही है। इसमें शहर के कुछ इलाके, बिनावर, अलापुर, ककराला और दातागंज बदनाम होता जा रहा है। अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई तो आगे चलकर इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे। नशाखोरी बढ़ेगी तो अपराध भी बढ़ेगा और पुलिस के सिररदर्दी बढ़ेगी।

    पान पड़िया की लत छुड़ाना सबसे आसान

    वैसे तो नशा मुक्ति केंद्र में सभी प्रकार के नशा करने वाले लोग आ रहे हैं और उनका लगातार उपचार भी कराया जा रहा है लेकिन यह भी बताया जा रहा है कि तंबाकू, पान-पुड़िया का सेवन करने वाले लोगों की लत भी जल्दी छूट रही है। कछला के एक व्यक्ति ने बताया कि वह काफी समय से तंबाकू का सेवन कर रहा था।

    उसको लत ऐसी लग गई थी कि वह हर समय तंबाकू का सेवन करता था। इससे उसका मुंह खराब हो रहा था। उसके दांत भी खराब होने लगे थे। जब उसने नशा मुक्तिकेंद्र में आकर उपचार कराया तो एक माह के अंदर उसका लत छूट गई। अब उसे ऐसा लगने लगा है कि जैसे पान, पुड़िया, तंबाकू उसकी दुश्मन है।

     

    नशा मुक्ति केंद्र में सभी प्रकार के मरीज आ रहे हैं। उनमें शराब, बीड़ी, तंबाकू, सिगरेट, पान, पुड़िया और अफीम का सेवन करने वाले मरीज शामिल हैं। जहां अफीम के मरीजों की बात करें तो उनमें सबसे ज्यादा शहर, दातागंज, बिनावर, अलापुर और ककराला के मरीज ज्यादा हैं। वह रोजाना अफीम का सेवन करने वाले मरीज हैं। उनका लगातार उपचार कराया जा रहा है।

    - डा. शिवमोहन कमल, प्रभारी नशा मुक्ति केंद्र जिला अस्पताल


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