10 हजार रुपये सैलरी पाने वाले रामबाबू के घर पहुंचा GST का नोटिस, बकाया रकम देख पैरों तले खिसक गई जमीन
बदायूं में एक दवा विक्रेता के नाम पर फर्जी फर्म बनाकर 27 करोड़ का कारोबार किया गया। पीड़ित को 4.82 करोड़ का जीएसटी नोटिस मिला। नौकरी के नाम पर दस्तावेज लेकर गिरोह ने फर्म बनाई। जांच में विभागीय मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और पीड़ित न्याय की गुहार लगा रहा है।

अंकित गुप्ता, बदायूं। 10 हजार रुपये प्रति माह की नौकरी करने वाले रामबाबू पाल के घर 4.82 करोड़ सेंट्रल जीएसटी बकाया की नोटिस पहुंच गई। वह परेशान हैं, क्योंकि उन्होंने आवेदन किया न किसी प्रकार की फर्म बनाई। इसके बावजूद सेंट्रल जीएसटी में पंजीकृत उनके नाम की ''मैसर्स पाल इंटरप्राइजेज'' से एक वर्ष में 27 करोड़ रुपये का लेनदेन हो गया। परेशान रामबाबू अधिकारियों की चौखट पर गवाही देते घूम रहे कि उनकी हैसियत करोड़ों के आसपास पहुंचने की भी नहीं है। नौकरी के नाम पर उनके कागज एक गिरोह ने हथिया लिए थे, उसी ने फर्जीवाड़ा कर फर्म बना ली। साठगांठ की आशंका में विभागीय कर्मचारी भी संदिग्ध हैं।
27 जुलाई को सोनू मेडिकल स्टोर के सेल्समैन रामबाबू के नौसेरा गांव स्थित घर पर सेंट्रल जीएसटी की नोटिस पहुंची थी। उसमें लिखी अंग्रेजी समझने में असमर्थ रामबाबू ने मेडिकल स्टोर मालिक सोनू से नोटिस पढ़वाई। इसके बाद पता चला कि 4.82 करोड़ की जीएसटी बकाया जमा करने को कहा गया है। वह सेंट्रल जीएसटी कार्यालय पहुंचे तो वहां बताया गया कि उनके नाम से रिटेल बिजनेस, होलसेल बिजनेस और सप्लायर के तौर पर फर्म आनलाइन पंजीकरण कराया गया।
तीन दिन दौड़ने के बाद रामबाबू को समझ आ गया कि वह फर्जीवाड़ा गिरोह के जाल में फंस गए। उन्होंने बताया कि अगस्त 2024 में एक आटोमोबाइल कंपनी का नाम लेकर युवती ने फोन किया था। उसने 20 हजार रुपये वेतन का पद खाली होने की बात कही तो नौकरी करने को तैयार हो गया। उसके कहने पर वाट्सएप पर आधार कार्ड, पेन कार्ड, अंकपत्र की छाया प्रति आदि कागज वाट्सएप पर भेज दिए थे। कुछ समय इंतजार के बाद दोबारा उस नंबर पर काल बैक की तो युवती ने कह दिया कि अब कोई जगह खाली नहीं है। उसी गिरोह ने उनके आधार कार्ड, पेन कार्ड इत्यादि उपयोग कर जीएसटी में ऑनलाइन पंजीकरण करा लिया होगा।
पोल न खुले, इसलिए उनके असली फोन नंबर के स्थान पर दूसरे नंबर और अलग ईमेल आइडी दर्ज कर दी गई। इस फर्म का लेनदेन करने के लिए दिल्ली के लाजपतनगर की सेंट्रल मार्केट की शाखा में रामबाबू के नाम से बैंक खाता भी खुलवाया गया।
रामबाबू का आरोप है कि गिरोह ने बैंक में भी मिलीभगत कर खाता खुलवा लिया। उनकी शिकायत पर सेंट्रल जीएसटी की स्थानीय टीम ने जांच कराई तो एक स्थानीय गिरोह के संलिप्तता के संकेत मिले। फर्जी फर्म बनाकर कबाड़ की खरीद-बिक्री दर्शायी गई थी। उसमें एक चालान भी हुआ, जिसके दो हजार रुपये बदायूं की सेंट्रल बैंक शाखा से जमा कराए गए थे।
फर्म का सत्यापन नहीं
बदायूं के सेंट्रल जीएसटी अधीक्षक आरके पंत ने बताया कि टैक्स बकाया होने पर इंस्पेक्टर प्रेमकुमार को नोटिस लेकर रामबाबू के घर भेजा था। इसके बाद फर्जी फर्म बनाकर टैक्स चोरी का मामला पता चला। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन आवेदन से पंजीकरण कराया जा सकता है। आवेदन का ब्योरा मेरठ काल सेंटर भेजा जाता है। वहां की टीम कागजों का सत्यापन करती है। वो टीम यदि कहती है तो भौतिक सत्यापन कराया जाता है मगर, यह अनिवार्य नहीं होता है। रामबाबू से फर्जीवाड़ा हुआ है, इसकी तह तक जाने का प्रयास है।
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