ठंड में अलाव के सहारे कट रहे लोगों के दिन-रात, बदायूं में लकड़ी और कोयला की मांग बढ़ी
पछुआ हवाओं के कारण न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। ठंडी हवाओं और गलन भरी सर्दी के चलते लोग राहत के लिए अलाव का सहारा ले रहे ह ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बदायूं। पछुआ हवाओं के चलते न्यूनतम तापमान गिरकर सात डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। ठंडी हवाओं और गलन भरी सर्दी के कारण आमजनमानस राहत पाने के लिए अलाव का सहारा ले रहा है। ऐसे में लोगों को लकड़ी और कोयले की जरूरत पड़ रही है। हालांकि इनके दाम अब तक तो सामान्य बने हुए हैं, लेकिन दुकानदार कहते हैं कि अगर ठंड इसी तरह पड़ती रही तो आने वाले दिनों में कोयले और लकड़ी के दाम बढ़ सकते हैं। फिलहाल अभी से ही लकड़ी व कोयला विक्रेता बता रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में इनकी बिक्री इस साल काफी बढ़ चुकी है।
ठंड से बचाव के लिए लोगों की निर्भरता अब पूरी तरह अलाव पर टिक गई है। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह अलाव जलते देखे जा सकते हैं। शहर के मुहल्लों, चौराहों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक स्थलों पर लकड़ी, कोयला और उपलों से अलाव जलाए जा रहे हैं। अचानक बढ़ी मांग के कारण इनकी कीमतों में भी तेज उछाल देखने को मिल रहा है, जिससे आम आदमी की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
45 रुपये प्रति किलो बिक रहा इमली का कोयला
ठंड को देखते हुए पत्थर का कोयला 25 रुपये और इमली का कोयला 45 रुपये प्रति किलो बाजार में बिक रहा है। अलावा के लिए लकड़ी भी 7 से 8 रुपये प्रति किलो बाजार में बिक रही है। वही कांडे भी 200 से 300 प्रति के सैंकड़ा बिक रहे हैं। शहर के मुहल्ला जोगीपुरा निवासी सुरेश ने बताया कि ठंड में चाय ज्यादा बिक रही है, लेकिन लोग देर तक बैठ नहीं पा रहे। हाथ सेंकते-सेंकते चाय पीते हैं और तुरंत चले जाते हैं। पहले से कोयला का खर्चा बढ़ गया है।
वहीं कड़ाके की ठंड का सबसे अधिक असर बुजुर्गों, बच्चों, मजदूरों और फुटपाथ पर रहने वाले जरूरतमंदों पर पड़ रहा है। रात के समय खुले में रहने वालों के लिए ठंड परेशानी सबब बनी हुई है। चिकित्सकों ने लोगों को गर्म कपड़े पहनने, सिर और कान ढककर रखने, गर्म पानी व पौष्टिक आहार लेने तथा अनावश्यक रूप से सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है।
कुल मिलाकर, कंपकंपाती ठंड और शीतलहर ने जिले की रफ्तार को थाम दिया है और जनमानस अलाव की आग के सहारे ठिठुरती रातें काटने को मजबूर है। लगातार पड़ रही ठंड के चलते लकड़ी, कोयला और उपलों के दाम आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं। लकड़ी बेचने वाले मदन ने बताया कि हर साल ठंड पड़ती लेकिन इस बार गलन ज्यादा है। लकड़ी की मांग बहुत बढ़ गई है, जबकि आपूर्ति सीमित है। पहले से स्टाक में रखी लकड़ी बेची जा रही है। इसलिए लकड़ी पर दाम बढ़े नहीं हैं। अभी सात रुपये प्रति किलो बिक रही लकड़ी आने वाले दिनों दस रुपये किलो तक पहुंच सकती है।
कोयले के दाम ठहरे, बढ़ने की आशंका
काेयला विक्रेता अजमल ने बताया कि सुबह से ही लोग कोयले खरीदने के लिए आ जाते हैं। ठंड में अलाव के बिना गुजारा नहीं है। पहले तो लोग जरुरी काम के लिए ही कोयला खरीदते थे। अब कंपकंपाती ठंड से बचने के लिए अलावा का सहारा ले रहे हैं। बताया कि पत्थर का कोयला 25 रुपये और ईमली का कोयला 45 रुपये बिक रहा है। पिछले वर्ष भी इसी भाव बिका था। बताया कि दस दिन ऐसी ही ठंड और पड़ गई तो कोयला महंगा हो सकता है।

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