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    26 महीनों की सुनवाई में पॉक्सो के 218 मुकदमे झूठे साबित, गलत इस्तेमाल करने वालों की अब आई शामत

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 11:07 AM (IST)

    Badaun News बदायूं की कोर्ट में पॉक्सो एक्ट के 218 मुकदमे झूठे साबित हुए हैं। इन मामलों में वादी या पीड़ित ने कोर्ट में आकर अपने बयानों से मुकर गए। अब ...और पढ़ें

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    अंकित गुप्ता l जागरण बदायूं। नाबालिगों के शारीरिक शोषण-दुष्कर्म (लैंगिक अपराध) पर रोकथाम के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया, मगर इसका भी दुरुपयोग होने लगा। जनवरी 2023 से 20 फरवरी 2025 तक कोर्ट की सुनवाई के दौरान पॉक्सो एक्ट के 218 मुकदमे झूठे साबित हुए। इन मुकदमों के वादी कोर्ट में पहुंचे तो आरोपों से मुकर गए।

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    ऐसे में आरोपितों को बरी कर दिया गया, जबकि झूठे मामले दर्ज कराने वालों से मुआवजा रिकवरी के आदेश हो गए। अब जिला प्रशासन जांच कराएगा, इसके बाद समाज कल्याण विभाग नोटिस भेजकर रिकवरी करेगा।

    विशेष लोक अभियोजन अमोल जौहरी अंदेशा जताते हैं कि दूसरे पक्ष को फंसाने और मुआवजा हड़पने के उद्देश्य से ऐसे मुकदमे कराए गए होंगे। बाद में आरोपित पक्ष से समझौता भी कर लिया गया होगा। नाबालिगों से लैंगिक अपराध होने पर आरोपित पर पाक्सो एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई होती है। इसमें तीन वर्ष से उम्रकैद तक कारावास की सजा हो सकती है।

    निधि श्रीवास्तव, डीएम बदायूं।

    एक साल पहले सुनवाई आरंभ हुई

    पॉक्सो के पीड़ित पक्ष को अपराध की प्रवृत्ति (छेड़छाड़, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म आदि) के अनुसार शासन से मुआवजा (क्षतिपूर्ति) दिया जाता है। पूर्व के वर्षों में हुए ऐसे मामलों को पुलिस ने भी सही मानते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी थी। इसी आधार पर विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में सुनवाई आरंभ हुई।

    बयानों से मुकरे पीड़ित

    कोर्ट से डीएम कार्यालय पहुंचे आदेश के अनुसार, वर्ष 2023 में पाक्सो के 67 मुकदमों में वादी (अभिभावक) या पीड़ित बयानों से मुकर गईं। इसी तरह वर्ष 2024 में 115 मुकदमों में वादी या पीड़ित मुकर गईं। उन्होंने पुलिस के सामने जो घटनाक्रम बताया, गवाही के दौरान उससे इन्कार कर दिया। इस वर्ष 20 फरवरी तक सुनवाई में 36 मुकदमे झूठे पाए जा चुके हैं।

    डीएम को लिखा पत्र

    कोर्ट ने इन सभी 218 मामलों को संज्ञान लेते हुए डीएम को पत्र लिखा। उनमें कहा गया कि इनके वादी-पीड़िताओं से मुआवजा की रिकवरी की जाए। पत्र में यह भी उल्लेखित किया गया कि पूर्व में जैसे-जैसे सुनवाई होती गई, असत्य मुकदमे सामने आने पर डीएम कार्यालय को जानकारी दी थी। इसके बावजूद अभी तक यह नहीं बताया गया कि कितने मामलों में क्षतिपूर्ति वापस ली गई। अब 26 महीनों की सुनवाई के आधार पर झूठे साबित हुए मुकदमों की समग्र सूची भेजी गई है।

    पॉक्सो के मामले असत्य पाया जाना बेहद गंभीर

    विशेष लोक अभियोजन अमोल जौहरी ने बताया कि पॉक्सो के मामले असत्य पाया जाना, बेहद गंभीर है। संभव है कि दूसरे पक्ष को फंसाने के लिए ऐसे मामले पंजीकृत कराए गए हों। बाद में मुआवजा लिया गया और समझौते के बहाने आरोपित पक्ष से भी वसूली की कर ली गई हो।

    पूर्व में जानकारी मिली थी कि फर्जी मुकदमों के छह वादियों से मुआवजा रिकवरी की जा चुकी है। शेष की जांच समाज कल्याण विभाग की टीम करेगी। कुछ प्रकरण ऐसे भी होते हैं, जिनमें मुआवजा नहीं लिया गया हो या शासन ने इस लायक न माना हो। समाज कल्याण विभाग के प्रपत्रों से स्पष्ट होगा कि 218 मामलों में कितने लोगों ने कितने रुपये मुआवजा लिया था।

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    कोर्ट से रिकवरी कराने के संबंध में पत्र मिला है। इसमें जिन पीड़ितों या वादी पक्ष को क्षतिपूर्ति राशि मिली है, उनसे रिकवरी कराई जाएगी। झूठे मुकदमे लिखाने से पुलिस से लेकर कोर्ट तक का समय बर्बाद होता है। ऐसी हरकत करने वाले अपने लिए खुद मुसीबत मोल ले लेते हैं। - निधि श्रीवास्तव, डीएम, बदायूं