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    गन्ने की अनुपलब्धता ने रोकी चीनी मिल की रफ्तार

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 01 Mar 2021 05:59 PM (IST)

    -35 हजार क्विंटल क्षमता के सापेक्ष नहीं मिल रहा गन्ना -फैक्ट्री को उठाना पड़ रहा भारी नुकस

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    गन्ने की अनुपलब्धता ने रोकी चीनी मिल की रफ्तार

    -35 हजार क्विंटल क्षमता के सापेक्ष नहीं मिल रहा गन्ना

    -फैक्ट्री को उठाना पड़ रहा भारी नुकसान, उत्पादन लागत भी बढ़ी

    जागरण संवाददाता, अमिलो (आजमगढ़) : चीनी मिल सठियांव गन्ने की अनुपलब्धता के कारण पिछले चार दिनों से रुक-रुक कर चल रही है। निर्धारित क्षमता से न चलने व बीच में ब्रेकिग के कारण फैक्ट्री का पीयू (क्षमता उपयोग) लगातार गिर रहा है और मैन पावर के रूप में लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं।

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    मिल ने 26 फरवरी को 19 हजार, 27 को 25 हजार और 28 फरवरी को 12 हजार 300 क्विंटल गन्ने की खरीद की, जबकि मिल की पेराई क्षमता 35 हजार क्विंटल है। हालत यह है कि दो से तीन दिन गन्ना इकट्ठा कर मिल में क्रशिग कराईं जाती है। पूरी क्षमता से न चलने के कारण क्षमता उपयोगिता घट कर 80 फीसद पर आ गई है। इधर मिल को बराबर चालू रखने के लिए लेबर, अधिकारी के साथ तेल, ग्रीस, चूना आदि केमिकल पर प्रतिदिन लाखों खर्च आ रहा है। इसके अतिरिक्त गुड़ पकाने वाले यंत्र की सफाई में दो लाख अलग से लगता है। मिल संचालित करने वाली इसजैक कंपनी का खर्च 84.40 लाख प्रति माह अलग से लगता है। गन्ना विभाग के अभी 50 कर्मचारी अलग से लगे हैं। मिल प्रबंधन जल्द से जल्द फैक्ट्री बंद करना चाहता है लेकिन पेच यह फंसा है कि बंद करने से पहले मिल के रजिस्ट्रार (जिला गन्ना अधिकारी) से सहमति (एनओसी) लेनी होगी। जानकारों का कहना है कि इस बार एक क्विंटल चीनी बनाने में 5810 रुपये का खर्च आ रहा है, जबकि सीजन 2019-20 में 4580, 18-19 में चार हजार रुपये प्रति क्विटल खर्च आया था।

    मुख्य गन्ना अधिकारी डा. विनय प्रताप सिंह ने बताया कि अभी दो से तीन हजार क्विंटल गन्ना मिलने की उम्मीद है इसलिए मिल को चालू रखा जाएगा।