मां सिद्धेश्वरी के रूप में पूजी जाती हैं क्षत्राणि ईश्वरी देवी
क्षेत्र के ग्राम सिधौना स्थित मां सिद्धेश्वरी धाम की महिमा

जागरण संवाददाता, मेहनाजपुर (आजमगढ़) : क्षेत्र के ग्राम सिधौना स्थित मां सिद्धेश्वरी धाम की महिमा अपरंपार है। वैसे तो माता वैश्य क्षत्रियों की कुल देवी हैं लेकिन इनकी आराधना के लिए हर कोई दर पर पहुंचता है। कहा जाता है कि क्षत्राणि ईश्वरी देवी ने मुगल सैनिकों से घिरने के बाद कुएं में जल समाधि ले ली थी। उसके बाद से ही इनकी देवी के रूप में पूजा होती है।
मुगलों के जमाने में सिधौना क्षेत्र में उन दिनों क्षत्रिय राजाओं का अधिकार हुआ करता था। ईश्वरी अपने दो भाइयों राधा राय और उदल राय के साथ रहती थीं। पूजा-पाठ के साथ ही युद्ध कौशल में भी निपुण थीं। तीर, तलवार, ढाल, कृपाण इनके खेल की सामग्री हुआ करते थे। उन्होंने मुगलों के आक्रमण काल में क्षत्रिय राजाओं को कमजोर पड़ता देख स्वयं युद्ध में उतरकर क्षत्रिय सेना का नेतृत्व करने लगी थीं। मुगल शासक ने ईश्वरी देवी को जीवित गिरफ्तार करने की योजना बनाई तो वह सिधौना क्षेत्र के जंगल में आश्रम बनाकर रहने लगीं। अचानक मुगलों ने सिधौना क्षेत्र के जंगल में ईश्वरी देवी के आश्रम पर आक्रमण कर दिया। रात्रि के समय आक्रमण के बाद भी उन्होंने मोर्चा संभाला और मुगलों के दांत खट्टे कर दिए। उसके बाद मुगलों की भारी संख्या में सेना बुलाई गई। मुगलों से स्वयं को घिरा देख ईश्वरी देवी ने जंगल में बने कुएं में जल समाधि ले ली। कालांतर में यहां मंदिर का निर्माण हुआ और ईश्वरी देवी को श्रद्धालु सिद्धेश्वरी देवी के नाम से पूजा करने लगे। क्षेत्र के लोग हर शुभ कार्य की शुरुआत सिद्धेश्वरी धाम में पूजन-अर्चन के बाद ही करते हैं। वहां शारदीय एवं वासंतिक नवरात्र में प्रत्येक वर्ष मेला लगता है लेकिन कोविड-19 की वजह से अबकी मंदिर में पहले की तरह भीड़ नहीं हो रही है।
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