'एक्सीडेंट सिटी' बना आजमगढ़, 11 महीनों में 350 लोगों ने गंवाई जान, दुर्घटनाओं के मामले में प्रदेश में 20वां स्थान
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। पिछले 11 महीनों में 350 लोगों की जान गई है, जिसके कारण आजमगढ़ को 'एक् ...और पढ़ें
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प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जनपद में सड़क हादसे लगातार बढ़ते जा रहा हैं। जिससे आजमगढ़ हादसों का जनपद कहलाने लगा है। नवंबर माह में 88 दुर्घटनाओं में करीब 49 लोगों की जान गई है।
वहीं 54 लोग गंभीर रूप से घायल है। वहीं ग्यारह माह में कुल 350 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। दुर्घटनाओं के मामले में प्रदेश में जनपद 20वें और देश में 98वें स्थान पर है।
ये आंकड़े न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि प्रशासन और आम जनता दोनों के लिए गंभीर चेतावनी भी हैं। जानकारों के अनुसार हादसों की मुख्य वजह तेज रफ्तार, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, ओवरलोडिंग, खराब सड़कों की स्थिति और पर्याप्त ट्रैफिक व्यवस्था का अभाव है।
कई प्रमुख मार्गों पर न तो स्पीड ब्रेकर हैं और न ही चेतावनी संकेतक, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है। रात के समय भारी वाहनों की अनियंत्रित आवाजाही भी जानलेवा साबित हो रही है। बार-बार हादसों के बावजूद ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
शासन के निर्देश पर जिले में यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और हादसों की रोकथाम के उद्देश्य से क्रिटिकल कॉरिडोर (सीसी) टीम भी कारगर साबित नहीं हो रही है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो सड़क हादसों का यह सिलसिला और भयावह रूप ले सकता है।
पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को भी करनी होगी पहल
सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने में पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई को पहल करनी होगी। सड़कों पर सफेद पट्टी, संकेतक, अंधा मोड़, घुमावदार सड़कों के पास झाड़ियों की काट छांट जल्द से जल्द पूरी करानी होगी। ताकि दुर्घटनाओं में कमी आ सके। सबसे अधिक दुर्घटना दृश्यता की वजह से होती है।
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आजमगढ़ जिले पर विशेष नजर
हाईवे से लेकर घनी आबादी के बीच हो रही भीषण दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए यातायात निदेशालय के अध्ययन के आधार पर डीजीपी राजीव कृष्णा ने विशेष कार्ययोजना तैयार कर कार्रवाई सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया था। यातायात प्रबंधन में सुधार के लिए महानगरों के साथ-साथ जनसंख्या घनत्व के आधार पर अन्य प्रमुख शहर चुने गए हैं।
इसमें आजमगढ़ भी शामिल है। हादसों में जनहानि को न्यूनतम करने के लिए सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के शून्य मृत्यु जिला कार्यक्रम (जेडएफडी) के तहत इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस के माध्यम से वर्ष 2023 व 2024 में घटित सड़क दुर्घटनाओं के आकड़ों के आधार पर एक्सीडेंटल डेथ रिडक्शन डिस्ट्रिक्ट के रूप में आजमगढ़ को चिह्नित किया गया है।
विगत दो माह में जो भी दुर्घटनाएं हुई हैं, उनके कारणों की विवेचना की जा रही है। दुर्घटना रोकने के लिए यातायात पुलिस शून्य मृत्यु जिला कार्यक्रम के तहत कार्य कर रही है। दुर्घटना के रोकथाम को 50 हजार से भी अधिक वाहनों पर रिफ्लेक्टर टेप लगाया जा चुका है। अभियान चलाकर लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
विवेक त्रिपाठी, एसएसपी यातायात, आजमगढ़।

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