Success Story : बचपन में छूट गया था पिता का साथ…, फिर ऐसी मेहनत की, निधि बन गई अफसर बिटिया
UPPSC Topper Success Story रामनगरी की बेटी निधि ने जिले का मान बढ़ाया है। मसौधा के सूबेदार का पुरवा निवासी निधि शुक्ल ने पीसीएस परीक्षा में आठवां स्थान प्राप्त कर राज्य भर में रामनगरी का नाम ऊंचा कर दिया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। निधि ने दूसरी बार में यह सफलता प्राप्त की है।

जागरण संवाददाता, अयोध्या। रामनगरी की बेटी ने जिले का मान बढ़ाया है। मसौधा के सूबेदार का पुरवा निवासी निधि शुक्ल ने पीसीएस परीक्षा में आठवां स्थान प्राप्त कर राज्यभर में रामनगरी का नाम ऊंचा कर दिया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है।
निधि ने दूसरी बार में यह सफलता प्राप्त की है। प्रथम प्रयास में वह साक्षात्कार तक पहुंची थी, लेकिन चयन नहीं हो सका था। द्वितीय प्रयास में उन्होंने पीसीएस में आठवां स्थान प्राप्त कर परिवार के साथ-साथ जिले को भी ख्याति दिलाई है। उनसे पूर्व कौशलपुरी निवासी विदुषी सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर रामनगरी का मान बढ़ाया था।
10वीं में छूट गया था पिता का साया
उनकी शुरुआती पढ़ाई छत्तीसगढ़ में हुई। उन्होंने कक्षा 10 तक छत्तीसगढ़ राज्य में पढ़ाई की। जब वह 10वीं में थीं तभी उनके पिता संतोष कुमार शुक्ला का निधन हो गया था। इसके बाद उनका परिवार माता मनोरमा शुक्ला के साथ अयोध्या अपने घर लौट आया, लेकिन निधि ने न सिर्फ अपने पिता के सपने को जिया, बल्कि साकार भी किया।
पिता छत्तीसगढ़ में जनजातीय विभाग में लेखाकार थे। हृदयाघात से उनका निधन हो गया था। उनका सपना था कि छोटी बेटी आईएएस-पीसीएस अफसर बने। इसके बाद निधि अपने पिता के सपने को साकार करने के उपक्रम में लग गईं।
एक साल तक दिल्ली में रहकर की पढ़ाई
उन्होंने 12वीं की परीक्षा अनिल सरस्वती विद्या मंदिर से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। डाॅ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से प्राचीन इतिहास, समाजशास्त्र और अंग्रेजी विषय से स्नातक व समाजशास्त्र से परास्नातक उत्तीर्ण किया।
करीब एक वर्ष तक प्रयागराज और उसके बाद दो वर्ष तक दिल्ली में रहकर तैयारी की। उन्हें दूसरे ही प्रयास में सफलता प्राप्त हो गई। तीन बहनों में सबसे छोटी निधि कहती हैं, पीसीएस उत्तीर्ण करने के लिए सबसे आवश्यक है कि स्नातक के सभी विषयों को अच्छी भांति पढ़ा जाए।
निधि ने बताया कि यदि किसी प्रयास में अंतिम समय में असफलता मिले तो भी न थकना और न ही उत्साहहीन होना चाहिए, बल्कि और दृढ़ता से उसी पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।
सबसे बड़ी बहन नेहा शुक्ल परिषदीय स्कूल में सहायक अध्यापक हैं, जबकि निशि शुक्ल पिता के स्थान पर छत्तीसगढ़ में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।
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