Ayodhya Ram Mandir: हजारों श्रद्धालुओं ने की रामकोट की परिक्रमा, प्राकट्य की 76वीं वर्षगांठ पर उमड़ा आस्था का सैलाब
अयोध्या में रामकोट की परिक्रमा में हजारों लोगों ने भाग लिया। यह परिक्रमा रामलला के विग्रह के प्राकट्य की 76वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में निकाली गई थी। ...और पढ़ें

संवाद सूत्र, अयोध्या। अयोध्या में गुरुवार को हजारों लोगों ने रामकोट की परिक्रमा की। शोभायात्रा के रूप में निकली परिक्रमा केंद्रीय गुंबद के नीचे स्थित रामजन्मभूमि पर 22, 23 दिसंबर 1949 की रात रामलला के विग्रह के प्राकट्य की 76वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में थी। शोभायात्रा में इस विरासत की बानगी, रथ पर स्थापित रामलला के चित्र के साथ अन्य रथों पर स्थापित बाबा अभिरामदास एवं ठाकुर गुरुदत्त सिंह के चित्र से मिल रही थी।
बाबा अभिरामदास वह विभूति थे, जिन्होंने रामलला के लिए जान लगा दी और रामजन्मभूमि से उनकी प्रतिमा हटाए जाने के प्रयासों को विफल कर दिया। ठाकुर गुरुदत्त सिंह उस वक्त सिटी मजिस्ट्रेट थे, उन्होंने ही इस मान्यता का प्रतिपादन किया कि रामलला को यदि प्रशासन ने उनके स्थान से हटाया, तो स्थिति अनियंत्रित हो जाएगी।
गुरुदत्त सिंह ने नौकरी को तिलांजलि दी, लेकिन रामलला की मूर्ति हटवाने से इनकार कर दिया। शोभायात्रा में अभिरामदास के शिष्य महंत धर्मदास एवं उनके एक अन्य शिष्य पूर्व सांसद तथा मंदिर आंदोलन के अग्रणी नायक डॉ. रामविलासदास वेदांती शामिल हुए। डॉ. वेदांती उस रामजन्मभूमि सेवा समिति के अध्यक्ष भी हैं, जिसके संयोजन में प्राकट्योत्सव प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

इस अवसर पर डॉ. वेदांती ने कहा, आज प्राकट्य पूर्णता की ओर है। इस बीच रामलला ने भक्तों का समर्पण-संघर्ष देखा। भक्त इस परीक्षा में सफल हुए और आज भव्य मंदिर का निर्माण संभव हो रहा है। शोभायात्रा में कैसरगंज के सांसद कर्णभूषण सिंह, गोंडा के विधायक प्रतीक भूषण सिंह, गुरुदत्त सिंह के पौत्र शक्ति सिंह, सेवा समिति के उपाध्यक्ष संजय शुक्ल, महामंत्री अच्युतशंकर शुक्ल, विधायक प्रतीक भूषण सिंह, डॉ. वेदांती के उत्तराधिकारी डॉ. राघवेशदास, हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत बलरामदास, महंत मधुवनदास, रामाश्रम के महंत जयरामदास, बृजभूषण सिंह के स्थानीय प्रतिनिधि महेंद्र तिवारी, समाजसेवी प्रियेशदास आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए।
रामजन्मभूमि मुक्ति का संघर्ष अप्रतिम धरोहर : बृजभूषण
शोभायात्रा में पूर्व सांसद बृजभूषणशरण सिंह भी बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ शामिल हुए। उन्होंने कहा, रामजन्मभूमि मुक्ति का संघर्ष हमारी अप्रतिम धरोहर है और हम मुक्ति आंदोलन की विरासत बचाए रखने का पूरा प्रयास करेंगे।

रामराज्य की दिशा में प्रवर्तन : राघवेश
डॉ. राघवेशदास ने बताया कि अब जब रामलला नव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं, तब यह उत्सव भी विशेष तैयारी से मनाया गया। यह तैयारी रामलला के प्राकट्य अभियान की पूर्णता के साथ रामराज्य की स्थापना का प्रवर्तन भी है। उन्होंने परिक्रमा में शामिल लोगों के प्रति आभार ज्ञापित किया।

भव्यता की संवाहक बनी शोभायात्रा
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला के विग्रह के प्राकट्य की वर्षगांठ पर निकली शोभायात्रा भव्यता की संवाहक बनी। शोभायात्रा में हनुमान जी के निशान सहित अनेक बैंड, नर्तकों-नर्तकियों तथा वादकों के समूह सहित मंत्रोच्चार करते वेदपाठी शामिल हुए। रामलला के पुनर्प्राकट्य में अहम भूमिका निभाने वाले गुरुदत्त सिंह के पौत्र शक्ति सिंह ने कहा कि इस घटना का स्मरण अपूर्व गौरव का संचार करता है और आज भव्य मंदिर के साथ यह अवसर भव्यता की जो भी ऊंचाई छुए, वह कम है।

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