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    श्रीरामोत्सव सबके राम: राघवेंद्र सिंह ने श्रीराम पर दी सुंदर कथक प्रस्तुति, कथक में पिरोया प्रभु का जीवन

    Updated: Sat, 13 Jan 2024 11:21 AM (IST)

    Ram Mandirश्रीरामोत्सव सबके राम में कथक की सुंदर प्रस्तुति और हर आंख नम...। मानो उस पल की साक्षी हो गईं हो कि बहुप्रतीक्षित रामजी के विग्रह की स्थापना हो रही है। तभी- सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं... की धुन पर वही भाव राघवेंद्र सिंह ने कथक में पिरोया तो करतल ध्वनि से सभागार गूंज उठा।

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    श्रीरामोत्सव सबके राम में श्रीराम कथा पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत करते राघुवेंद्र सिंह

    महेन्द्र पाण्डेय, लखनऊ। अयोध्या में श्रीराम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के दृश्य को निहारने के लिए इतिहास 500 वर्षों से प्रतीक्षा कर रहा है। हम और आप में कोई 20, कोई 35-40 या 60 वर्ष से उस पल को देखना चाहता है। जिसकी जितनी उम्र, उसकी उतनी उत्कंठा।

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    'श्रीरामोत्सव सबके राम' में कथक की सुंदर प्रस्तुति और हर आंख नम...। मानो उस पल की साक्षी हो गईं हो कि बहुप्रतीक्षित रामजी के विग्रह की स्थापना हो रही है। तभी- सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं... की धुन पर वही भाव राघवेंद्र सिंह ने कथक में पिरोया तो करतल ध्वनि से सभागार गूंज उठा। फिर जय सियाराम... का घोष रोम-रोम में ऊर्जा का संचार करने लगा। भाव विह्वल दर्शक आह्लादित, मुदित ऐसे हुए जैसे उनके राघवेंद्र सरकार प्रत्यक्ष आ गए हों।

    प्रस्तुत किए कार्यक्रम

    राघवेंद्र सिंह ने जय जगदीश हरे... पर पहली प्रस्तुति दी। कथक में पिरोए अनुपम भावों ने इस प्रस्तुति को अभिनव बनाया। उनके बाद विकास अवस्थी, साक्षी त्रिपाठी और सुमति मिश्रा ने नमामि भक्त वत्सलं... पर नृत्य वंदना की। तीसरी प्रस्तुति में केवट-राम का संवाद प्रकट किया।

    सुनाई एक कथा

    राघवेंद्र सिंह ने 'कथा कहे सो कथक कहाए' को नृत्य से चरितार्थ किया और राम, सीता व लक्ष्मण के गंगा पार जाने के दृश्य को जीवंत कर दिया। कभी-कभी भगवान को भी भक्तों से काम पड़े, जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े... गीत पर उन्होंने न केवल केवट की मनोदशा को व्यक्त किया, बल्कि प्रभु राम के आदर्श को प्रतिस्थापित किया। केवट दौड़ कर जल ले आया चरण धोकर चरणामृत पाया, प्रभु देने लगे उतराई केवट बोले नहीं रघुराई... जैसे-जैसे गीत पड़ाव की ओर बढ़ रहा था, सभागार में तालियों की गूंज बढ़ती जा रही थी।

    35 वर्षों की प्रतीक्षा का प्रतिफल मिलने जा रहा

    राघवेंद्र ने कथक से भावों के बयां करने साथ ही शब्दों की सरिता भी प्रवाहित की। बोले- रामराज्य उत्सव मनाने से नहीं आएगा, उसे आत्मसात करना होगा। जीवन के 35 वर्षों की प्रतीक्षा का प्रतिफल अब मुझे मिलने जा रहा है। रामजी की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ दिन जो आने वाला है। कहा, हर हृदय में प्रभु राम का निवास होना चाहिए। फिर हर हृदय राम मंदिर सा होगा।

    मंच सजाकर गाये श्रीराम के गुणगान

    इसी बीच विकास, साक्षी व सुमति ने मंच को गुलशन सा सजाया और सभी को कथक के भावों से एहसास कराया कि उनके सरकार यानी मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम आ रहे हैं...। कथक की भव्य प्रस्तुति देख आंखें अनुग्रहीत हो रही थीं। पलकों को बिछाए लोग भी तब सरकार के स्वागत में खड़े हो गए... जब मंच की ओर श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के स्वरूप आए। फिर हर जुबां पर शब्द फूटे- जय श्रीराम... जय सियाराम...।

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