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    श्रीरामोत्सव सबके राम: 'युवाओं के आदर्श श्रीराम' सत्र में राम कथा विदुषी डॉ. सुनीता शास्त्री ने रखे विचार

    Updated: Fri, 12 Jan 2024 05:01 PM (IST)

    डा. शास्त्री ने कहा कि हमारे युवाओं पर देश का भार है। देश को बुजुर्ग और बालक नहीं चलाते। युवा पीढ़ी ही देश समाज और घर को संभालती है। युवाओं में जोश है। उन्हें होश वृद्धजन से लेना चाहिए। डा. शास्त्री ने राम रामायाण और रामनगरी के साथ विचार के सेतु को लक्ष्मणनगरी से भी जोड़ा। इस नगरी को लक्ष्मणजी ने बसाया था। अपभ्रंश से यह लखनऊ हो गई है।

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    श्रीरामोत्सव सबके राम के पहले सत्र में 'युवाओं के आदर्श श्रीराम' पर हुई बात।

    महेन्द्र पाण्डेय, लखनऊ। श्रीराम राम केवल युवाओं के नहीं, सबके आदर्श हैं। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने मौखिक उपदेश दिए थे, लेकिन प्रभु राम ने अपने आचरण से आदर्श स्थापित किए। उन्होंने जन-जन को संबल दिया और सन्मार्ग दिखाया। होटल फार्च्यून में आयोजित श्रीरामोत्सव सबके राम के पहले सत्र में 'युवाओं के आदर्श श्रीराम' पर बात हुई। वक्ता अयोध्या की राम कथा विदुषी डा. सुनीता शास्त्री ने युवाओं को श्रीराम के पांच आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने की प्रेरण दी। वे आदर्श क्या हैं, आगे पढ़ें...

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    डा. सुनीता शास्त्री ने प्रभु राम के आदर्शों को पंच सूत्र के रूप में बताया। प्रथम- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी। आप दुनिया में कहीं रहें, पर अपनी वसुंधरा, अपने देश को कभी न भूलें। द्वितीय- चारित्रेण च को युक्त:। प्रभु राम सदाचारी हैं। उनके जैसा चरित्रवान बनें। तृतीय-सर्वभूतेषु को हित:। रामजी सभी प्राणियों के हितसाधक हैं। उनसे यह प्रेरणा भी लेनी चाहिए। चतुर्थ- स्मितपूर्वाभिभाषी च। आप पूर्व भिभाषी बनें... मतलब सभी से पहले बोलें। प्रभु राम तो दुश्मन से भी प्रथम संवाद करते थे। पंचम- आचार्य निष्ठा। श्रीराम हमेशा गुरु वशिष्ठ में निष्ठा रखते थे। वह अपने भाई लक्ष्मण और वानरसेना के सहयोग से रावण को पराजित करके अयोध्या लौटे तो गुरु वशिष्ठ को विजयश्री का श्रेय दिया।

    डा. शास्त्री ने कहा कि हमारे युवाओं पर देश का भार है। देश को बुजुर्ग और बालक नहीं चलाते। युवा पीढ़ी ही देश, समाज और घर को संभालती है। युवाओं में जोश है। उन्हें होश वृद्धजन से लेना चाहिए। डा. शास्त्री ने राम, रामायाण और रामनगरी के साथ विचार के सेतु को लक्ष्मणनगरी से भी जोड़ा। कहा, इस नगरी को लक्ष्मणजी ने बसाया था। अपभ्रंश से यह लखनऊ हो गई है। उन्होंने अवधपुरी की वंदना- बंदऊं अवधपुरी अति पावनि... के साथ अपनी वाणी को विश्राम दिया।

    जीवन के हर विभाग में खरे हैं श्रीराम

    डा. सुनीता शास्त्री ने कहा कि श्रीराम जीवन के हर विभाग में खरे उतरते हैं। पुत्र, भाई, राजा और शत्रु भी रामजी के जैसा होना चाहिए। रावण स्वयं कहता था कि शत्रु हो तो राम जैसा। श्रीराम जिसको जिस रूप में अच्छे लगें, उसको उस रूप में उनसे नाता जोड़ लेना चाहिए। आज अधिक से अधिक लोग भारत को राममय करना चाहते हैं, इसलिए हम सभी को राममय हो जाना चाहिए।

    भौतिक और आध्यात्मिक को मिलाएं

    हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। भौतिक और आध्यात्मिक ऐसा ही पहलू है। डा. शास्त्री ने कहा कि भारत के अभिभावक के रूप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को भौतिक ही नहीं आध्यात्मिक समृद्धि भी दी है। स्पष्ट है- उन्नति के लिए भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता को मिलाना ही होगा। उन्होंने कहा कि हमने अवध की भयावह सुबह भी देखी है। चरमराती हमारी धरोहर अब जगमगाती अयोध्या बन गई है। यह देख- गायन्ति देवा: किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे... आज देवता भी यही गान कर रहे होंगे।