'अहंकार तो रावण का नहीं चला, फिर ये तो अवधेश-अखिलेश हैं'... मिल्कीपुर में सपा की हार की क्या है वजह?
मिल्कीपुर उपचुनाव (Milkipur By Election Result 2025) में अवधेश प्रसाद (Awadhesh Prasad) की करारी हार हुई है। भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की है। अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद सपा से चुनाव लड़े थे। इस हार से अवधेश प्रसाद को बड़ा झटका लगा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अहंकार तो रावण का नहीं चला और यह तो अखिलेश-अवधेश हैं।
रघुवरशरण, अयोध्या। छह माह पूर्व हुए लोकसभा चुनाव में रामनगरी से युक्त फैजाबाद सीट से भाजपा प्रत्याशी को पराजित कर समीक्षकों को चमत्कृत करने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर उपचुनाव के मोर्चे पर अपना करिश्मा नहीं दोहरा सके। जबकि इस चुनाव में उनकी पूरी प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी।
इस मोर्चे पर न केवल उनके पुत्र अजीत प्रसाद (Ajit Prasad) सपा प्रत्याशी के तौर पर भाग्य आजमा रहे थे, बल्कि यह उपचुनाव अवधेश प्रसाद (Awadhesh Prasad) के लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के चलते ही हो रहा था। लोकसभा के लिए निर्वाचित होने से पूर्व अवधेश प्रसाद इसी मिल्कीपुर क्षेत्र से विधायक थे और लोकसभा चुनाव के बाद से ही मिल्कीपुर उपचुनाव (Milkipur By Election) के लिए मंसूबे पाले जाने लगे थे।
अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद थे सपा से प्रत्याशी
यदि एक ओर फैजाबाद जैसी अति प्रतिष्ठापरक सीट खाेने के साथ आहत भाजपा बदला लेने के लिए पहले दिन से ही मिल्कीपुर के उपचुनाव की प्रतीक्षा करने लगी थी तो सपा और अवधेश प्रसाद ने भी लोकसभा चुनाव से अर्जित प्रतिष्ठा बहाल रखने के लिए उपचुनाव के मोर्चे पर पूरी ताकत झोंक रखी थी। इस रस्साकसी में दोनों खेमों और दलों के प्रतिनिधियों के साथ उनके चिर-परिचित मुद्दे भी आमने-सामने थे।
एक ओर राम मंदिर, राष्ट्रवाद, अयोध्या का अभूतपूर्व विकास और हिंदू समाज की एकता का ज्वार था तो दूसरी ओर पीडीए यानी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक के गठजोड़ की चुनौती थी। यह गठजोड़ लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सहित पूरे प्रदेश में अपनी सफलता सिद्ध भी कर चुका था। ऐसी ही सफलता से उत्साहित सपा मुखिया अखिलेश यादव ने फैजाबाद से पार्टी सांसद का लोकसभा में परिचय कराते हुए अवधेश की शाब्दिक मीमांसा करते हुए उन्हें अयोध्या का राजा बताया था।
अखिलेश ने अवधेश को बताया था अयोध्या का राजा
सपा मुखिया की यह गर्वोक्ति उस समय भाजपा समर्थकों के जले पर नमक छिड़कने वाली थी। भगवा रीति-नीति के संवाहकों के लिए यह असह्य था कि श्रीराम के अतिरिक्त अयोध्या का राजा कोई और हो सकता है क्या। आज जब मिल्कीपुर उपचुनाव में पुत्र की करारी पराजय से अवधेश प्रसाद जमीन पर आ गए हैं, तब उन्हीं के नाम वाले युवा भाजपा नेता एवं प्रख्यात शिक्षासेवी डॉ. अवधेश वर्मा कहते हैं, वह अवधेश नहीं अवधेश प्रसाद हैं और अखिलेश तथा अवधेश प्रसाद के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव का यह सबसे बड़ा संदेश है।
एक अन्य भाजपा नेता एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी अभय सिंह कहते हैं, अहंकार तो रावण का नहीं चला और यह तो अखिलेश-अवधेश हैं। अभय मिल्कीपुर से लेकर दिल्ली तक के चुनाव परिणाम की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, सफलता उन्हें मिली जिन्होंने भगवान को शिरोधार्य किया और वे चारो खाने चित रहे, जिन्होंने भगवान को चुनौती देने का दुस्साहस किया।
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