Milkipur By Election: सपा की प्रतिष्ठा दांव पर, अयोध्या की हार का बदला ले पाएगी BJP? क्या हैं जातीय समीकरण
Milkipur By Election | अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों के एलान के बाद सियासी पारा चढ़ चुका है। इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। 5 फरवरी को मतदान और 8 फरवरी को मतगणना होगी। सीएम योगी ने खुद इस सीट की कमान संभाली है। अखिलेश ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। जानिए इस सीट के जातीय समीकरण...।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Milkipur By Election | अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट (Milkipur By Election) पर उपचुनाव की तारीख का एलान 7 जनवरी को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ। मिल्कीपुर में 5 फरवरी को मतदान होगा, वहीं 8 फरवरी को मतगणना होगी। वोटिंग की डेट सामने आने के बाद से ही सियासत गर्मा गई है।
इस सीट पर पूरे सूबे की नजरें टिकी हुई हैं, जहां एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने खुद इस प्रतिष्ठित सीट की कमान संभाली हुई है। वहीं, दूसरी तरफ सपा ने भी अपने सभी पेंच कसे हुए हैं।
यूपी की 9 विधानसभा सीट में से 6 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा (BJP) की पूरी कोशिश है कि अयोध्या सीट पर मिली हार का बदला इस बार मिल्कीपुर सीट (Ayodhya Milkipur) को जीतकर लिया जा सके। उधर, सपा ने भी उपचुनाव के लिए तैयारी तेज कर दी है।
मिल्कीपुर सीट इसलिए मानी जाती है महत्वपूर्ण
मिल्कीपुर सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई थी। इससे पहले नेता प्रसाद मिल्कीपुर सीट से विधायक थे। अब इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है।
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मिल्कीपुर का जातीय समीकरण जानिए
मिल्कीपुर के जातीय समीकरणों पर निगाह डालें तो यहां दलित वोट अहम भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर 3.5 लाख पात्र मतदाताओं में से 1.2 लाख दलित, करीब 55,000 यादव (ओबीसी) और 30,000 मुस्लिम वोटर्स हैं।
इसके अलावा यहां 60 हजार ब्राह्मण, 55 हजार पासी, 25 हजार ठाकुर, 25 हजार दलित, 50 हजार कोरी, चौरसिया, पाल और मौर्य समाज के लोग आते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जो भी पार्टी दलितों के साथ-साथ ब्राह्मणों, क्षत्रियों और अन्य पिछड़े वर्गों का समर्थन हासिल करेगी, वही विजयी होगी।

सालों से सपा का ही रहा है कब्जा
मिल्कीपुर सीट पर सालों से समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। ये सीट सपा का गढ़ मानी जाती है। साल 1991 से अब तक बीजेपी यहां सिर्फ दो बार चुनाव जीती है, जबकि छह बार सपा और दो बार बसपा से विधायक रहे हैं।
साल 2002 में सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को हराकर यह सीट जीती थी। प्रसाद को 49.99 प्रतिशत वोट (1,03,905) मिले थे, वहीं गोरखनाथ को 41.83 प्रतिशत (90,567) वोट मिले थे।
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इस बार कौन है मैदान में?
समाजवादी पार्टी ने मिल्कीपुर सीट पर अयोध्या से मौजूदा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को टिकट दिया है। पार्टी ने अक्टूबर 2024 में ही अजीत को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। वहीं, बीजेपी ने अभी तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है। बसपा ने पहले ही उपचुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस अपने सहयोगी दल सपा को समर्थन जारी रख सकती है।

सीएम योगी ने झोंकी ताकत
बीजेपी ने इस सीट को जिताने के लिए 6 मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम ने बीते दिनों बैठक में मंडल, शक्ति केंद्रों और बूथ इकाइयों में ज्यादा से ज्यादा मत प्राप्त करने की प्रतिस्पर्धा का मंत्र भी दिया। इन मंत्रियों मे प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, स्वास्थ्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, खेल मंत्री गिरीशचंद्र यादव, खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर का नाम शामिल है। ये मंत्री मिल्कीपुर में अलग-अलग वर्गों के लोगों के साथ बैठक कर मतदान अपने पक्ष में कराना सुनिश्चित करेंगे।

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