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    सरकारी नौकरी का फर्जी आदेश बनाकर निकाला नौ महीने का वेतन, कोर्ट दिया जांच का आदेश

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:09 PM (IST)

    अयोध्या में एक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल की और 9 महीने तक वेतन लिया। 27 साल बाद अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। आरोपी ने फर्जी स्थानांतरण आदेश से अंबेडकरनगर में नौकरी पाई थी लेकिन जांच में धोखाधड़ी सामने आने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया था। सूचना के अधिकार से मामले का पता चलने पर शिकायत दर्ज कराई गई।

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    सरकारी नाैकरी का फर्जी आदेश बना कर डकारा नौ माह का वेतन।

    संवाद सूत्र अयोध्या। फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी नौकरी हथियाने और नौ महीने तक सरकारी खजाने से वेतन निकालने का एक हैरान करने वाला प्रकरण सामने आया है। करीब 27 साल तक दबे रहे इस मामले में अंतत: सीजेएम सुधांशु शेखर उपाध्याय ने सख्त रुख अपनाते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।

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    प्रशासन की घोर लापरवाही को देखते हुए न्यायालय ने कोतवाली नगर के थाना प्रभारी को अविलंब मुकदमा दर्ज कर सात दिन के अंदर न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया है।

    शिकायतकर्ता अशोक कुमार वर्मा के अधिवक्ता मार्तंड प्रताप सिंह के अनुसार विपक्षी शिवबरन वर्मा ने चकबंदी आयुक्त लखनऊ के नाम से फर्जी स्थानांतरण आदेश तैयार किया। इसी कूटरचित आदेश और कार्यमुक्ति प्रमाणपत्र का हवाला देते हुए 17 जून 1998 को अंबेडकरनगर में चकबंदी लेखपाल का पद धारण किया।

    विपक्षी ने न सिर्फ फर्जी नौकरी ज्वाइन की बल्कि नौ माह तक सरकारी वेतन भी डकारा। बाद में जांच में यह जालसाजी पकड़ी गई और 10 मार्च 1999 को शिवबरन वर्मा की बर्खास्तगी का आदेश जारी हुआ। आश्चर्य की बात यह रही कि उस समय न तो कोई मुकदमा दर्ज हुआ और न ही सरकारी धन की वसूली की गई।

    शिकायतकर्ता अशोक वर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत इस प्रकरण की जानकारी 21 मार्च 2025 को प्राप्त की। इसके बाद थाना कोतवाली नगर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

    न्यायालय ने दिया जांच का आदेश

    मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुधांशु शेखर उपाध्याय ने सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता के आरोपों पर प्रारंभिक जांच का आदेश दिया। जांच आख्या में शिवबरन वर्मा की अंबेडकरनगर में 17 जून 1998 से 10 मार्च 1999 तक की नियुक्ति फर्जी पाई गई और उन्हें 1999 में बर्खास्त किया गया था।

    जिस पर न्यायालय ने प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए थाना कोतवाली नगर प्रभारी को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अधिवक्ता मार्तंड प्रताप सिंह ने बताया किया न्यायालय के आदेश के बाद भी अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।

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