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    'गंध से नशा साबित नहीं', कोर्ट के आदेश से बीमा कंपनी को लगा चूना; दुर्घटनाग्रस्त कार के लिए देनी होगी इतनी रकम

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 08:02 PM (IST)

    स्थायी लोक अदालत ने बीमा कंपनी को वाहन मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया। अदालत ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि केवल गंध से नशा साबित नहीं होता। हिमांशु सिंह की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। बीमा कंपनी ने क्लेम रद कर दिया था।

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    क्षतिग्रस्त कार के लिए बीमा कंपनी को देनी होगी पूरी रकम।

    जागरण संवाददाता, अयोध्या। स्थायी लोक अदालत के पीठासीन अधिकारी मनोज कुमार तिवारी व सदस्य राजेश कुमार शुक्ल ने एक अहम फैसले में बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि वह वाहन स्वामी हिमांशु सिंह को उसकी क्षतिग्रस्त कार की सात लाख रुपये क्षतिपूर्ति और वाद व्यय अदा करे।

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    न्यायालय ने बीमा कंपनी फ्यूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा शराब पीकर गाड़ी चलाने के आधार पर क्लेम निरस्त करने की दलील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मात्र गंध से नशा साबित नहीं होता और शराब की जांच का भी कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है।

    याची हिमांशु सिंह ने वर्ष 2018 में होंडा अमेज कार खरीदी थी और उसका बीमा फ्यूूचर जनरली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से कराया था। 23 नवम्बर 2023 की रात उनकी कार अचानक सामने आए पशुओं को बचाने के दौरान बिजली के पोल से टकरा कर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।

    इस दुर्घटना में चालक आशीष कुमार को गंभीर चोटें आईं और पीछे बैठे दो लोगों की मौत हो गई। बीमा कंपनी ने क्लेम निरस्त करते हुए कहा कि चालक शराब के नशे में था। इसका आधार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोहावल का एक पर्चा बनाया गया, जिसमें केवल शराब की गंध का उल्लेख था।

    बीमा कंपनी की मनमानी के विरुद्ध याची ने 21 मार्च 2024 को स्थायी लोक अदालत की शरण ली। न्यायालय ने पाया कि बिना किसी वैज्ञानिक जांच, मेडिको लीगल प्रमाण या रक्त परीक्षण के सिर्फ गंध के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करना अनुचित है।

    न्यायालय ने पाया कि बीमा कंपनी ने खुद सर्वेयर रिपोर्ट में वाहन का टोटल लास मान लिया था। इसके बाद भी उसने सिर्फ ड्रंक्ड लिखे जाने पर क्लेम निरस्त किया। न्यायालय ने इसे आधारहीन मानते हुए बीमा कंपनी को क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश दिया।

    अदालत का आदेश

    न्यायालय ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह वाहन की बीमित धनराशि सात लाख रुपये, मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति हेतु 15 हजार रुपये तथा वाद व्यय 10 हजार रुपये दो माह के भीतर अदा करे।

    आदेश न मानने पर बीमा कंपनी को याचिका दाखिल करने की तिथि से अदायगी तक सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा।

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