Ayodhya Ram Mandir: मोबाइल ऐप से बनाए जा रहे रामलला के दर्शन का फर्जी VIP पास, श्रद्धालुओं को ठगने का नया तरीका आया सामने
Ayodhya Ram Mandir रामलला के दर्शन के लिए फर्जी वीआईपी पास बनाकर श्रद्धालुओं से ठगी करने का मामला सामने आया है। शातिर ठग मोबाइल एप की मदद से किसी अन्य श्रद्धालु के असली पास की फोटो एडिट करके नकली पास बना रहे हैं। लुधियाना के एक श्रद्धालु से हुई ठगी में भी यही तरीका अपनाया गया था। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

रविप्रकाश श्रीवास्तव, जागरण अयोध्या। Ayodhya Ram Mandir: आधुनिक तकनीक के उपयोग से शातिर ठग रामलला के दर्शन का फर्जी वीआइपी पास बना रहे हैं। पास को लेकर ठगी के मामलों की जांच में चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई है। फर्जी वीआइपी पास बनाने के लिए किसी अन्य श्रद्धालु के वास्तविक पास की रंगीन फोटो का उपयोग किया जा रहा है।
इस पास को मोबाइल एप के माध्यम से एडिट करके छद्म पास बनाए जा रहे हैं। गत दिनों लुधियाना के श्रद्धालु से फर्जी पास के नाम पर हुई ठगी में यही तरीका अपनाया गया था। रामनगरी में अब तक फर्जी पास के पांच से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें इसी प्रकार वास्तविक पास को एडिट कर श्रद्धालुओं को ठगा गया था, जबकि पास निश्शुल्क होता है और इसे प्राप्त करने के लिए मंदिर ट्रस्ट की एक अधिकृत प्रक्रिया है।
ठगों के इस दांव का पता चलने के बाद पूर्व में आ चुके ऐसे प्रकरणों की जांच में नया मोड़ आ गया है। लुधियाना के श्रद्धालुओं को फर्जी पास उपलब्ध कराने की घटना में कुछ दिन पहले कोतवाली नगर पुलिस ने बेनीगंज निवासी मीनाक्षी एवं उसके सहयोगी जयकेश को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। उनसे पूछताछ के आधार पर चल रही जांच में यह सच्चाई उजागर हुई है। इस मामले में नामजद गाइड की संलिप्तता स्पष्ट नहीं हो सकी है।
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लुधियाना के सराभा नगर पंचशील बिहार निवासी संजीव कुमार गुप्त अपने परिवार के साथ रामलला का दर्शन करने आए थे। वह 14 फरवरी को यहां पहुंचे और नाका हवाई पट्टी क्षेत्र में सिग्नेट होटल में ठहरे थे। होटल के बाहर ही उन्हें जयकेश और मीनाक्षी मिले।

रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की जुट रही भीड़। जागरण
संजीव की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने दोनों से दर्शन के बारे में पूछ लिया। यहीं से दोनों ने उन्हें ठगने का षड़यंत्र रचना शुरू कर दिया। दोनों ने उन्हें दर्शन के लिए वीआइपी पास एवं गाइड उपलब्ध कराने का झांसा दिया। इसके बाद दोनों ने चार हजार रुपये श्रद्धालु से ले लिए थे।
फर्जी पास से संबंधित जो मामले प्रकाश में आए हैं उनमें अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई की गई है। जांच चल रही है। अधिकांश मामलों में कंप्यूटर एवं मोबाइल एप के माध्यम से एडिट करके फर्जी पास बनाए जाने के तथ्य मिले हैं। श्रद्धालुओं से आग्रह है कि वे ठगों से सचेत रहें। इच्छुक श्रद्धालु मंदिर ट्रस्ट की ओर से निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत ही पास प्राप्त करें। पास निश्शुल्क होता है। -आशुतोष तिवारी, सीओ अयोध्या
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कोतवाल अश्विनी पांडेय ने बताया कि आरोपी भाड़े पर कार चलाते हैं। दोनों विभिन्न होटलों में जाकर वहां ठहरने वाले श्रद्धालुओं से संपर्क कर उन्हें दर्शन कराने के लिए वाहन उपलब्ध कराते हैं और वीआइपी पास उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी करते हैं। इन लोगों ने पूर्व में जारी किसी श्रद्धालु के वीआइपी पास को मोबाइल एप के माध्यम से संशोधित करके नकली पास बनाया था। इस प्रकरण की जांच चल रही है।

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