UP News: रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को सरयू नदी में दी गई 'जल समाधि', PGI में ली थी अंतिम सांस
अयोध्या के रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें इसी माह के आरंभ में ब्रेन स्ट्रोक के चलते पीजीआई-लखनऊ में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से अयोध्या में शोक की लहर है। उन्हें गुरुवार को दोपहर पुण्य सलिला सरयू में जल समाधि दी गई। आचार्य सत्येंद्रदास को रामलला से सरोकार गुरु अभिरामदास के प्रसाद स्वरूप मिला था।

संवाद सूत्र, जागरण अयोध्या। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास का साकेतवास हो गया। वह 85 वर्ष के थे और इसी माह के आरंभ में ब्रेन स्ट्रोक के चलते उन्हें पीजीआइ-लखनऊ में भर्ती कराया गया था। वहीं उन्होंने बुधवार को सुबह 7:30 बजे अंतिम सांस ली। उनके शिष्य एवं रामलला के सहायक अर्चक प्रदीपदास के संयोजन में मुख्य अर्चक की पार्थिव काया अयोध्या के रामघाट स्थित उनके आश्रम सत्यधाम में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था। उन्हें गुरुवार दोपहर पुण्य सलिला सरयू में जल समाधि दी गई।
आचार्य सत्येंद्रदास मूलरूप से संत कबीरनगर के निवासी थे। पिता के साथ यदा-कदा अयोध्या आते रहे सत्येंद्रदास 1958 में अयोध्या आए, तो यहीं के होकर रह गए। उन्होंने बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत अभिरामदास से दीक्षा ली और हनुमानगढ़ी में ही धूनी रमाई।
गुरु ने उन्हें आश्रम के काम-काज में सहयोग के साथ आश्रम से संबंधित देव स्थानों के पूजन-अर्चन का भी दायित्व सौंपा। सत्येंद्रदास इस दायित्व का निर्वहन करते हुए अपनी पढ़ाई-लिखाई भी करते रहे।
अयोध्या के सत्यधाम में रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास को पुष्पांजलि अर्पित कर अंतिम प्रणाम करते सांसद अवधेश प्रसाद: जागरण
1975 में उन्होंने व्याकरण विषय से आचार्य की डिग्री प्राप्त की और अगले वर्ष वह रामनगरी के ही प्रतिष्ठित त्रिदंडीदेव संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग के सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। इसके बाद उनका स्वयं का भी आभामंडल प्रभावी होने लगा।
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हनुमानगढ़ी स्थित गुरु आश्रम से विलग हो उन्होंने रामघाट मुहल्ला में सत्यधाम गोपाल मंदिर की महंती संभाली। एक मार्च 1992 को वह रामलला के मुख्य अर्चक नियुक्त किए गए। उन्हें पुजारी हुए नौ माह ही हुए थे, जब कारसेवकों ने रामजन्मभूमि पर बना विवादित ढांचा गिरा दिया।
ढांचा गिरने की शुरुआत पूर्वाह्न ही हो गई थी और आचार्य सत्येंद्र पूरे यत्न और धैर्य से वस्तुस्थिति को समझने का यत्न कर रहे थे, किंतु मध्याह्न जब कारसेवकों ने रामलला के ठीक ऊपर वाले मध्य के गुंबद को तोड़ना शुरू किया, तब प्रत्युत्पन्न मति से वह रामलला को गोद में लेकर भाग खड़े हुए और कुछ देर सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया, ढांचा गिराए जाने के तीसरे दिन समतलीकरण के बाद उन्होंने रामलला को पुन: यथास्थान स्थापित किया।
अयोध्या के सत्यधाम में रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास को अंतिम प्रणाम करने पहुंचे बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मोहम्मद इकबाल अंसारी(मध्य में): जागरण
उन्हें रामलला का ऐसा अर्चक होने का गौरव हासिल हुआ, जिसे विवादित ढांचा और टेंट के अस्थाई मंदिर से लेकर गत वर्ष से नव्य-भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित रामलला के पूजन-अर्चन का अवसर मिला।
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गुरु से मिला रामलला से सरोकार का प्रसाद
आचार्य सत्येंद्रदास को रामलला से सरोकार गुरु अभिरामदास के प्रसाद स्वरूप मिला था। वह अभिरामदास ही थे, जिन्होंने 22-23 दिसंबर 1949 की रात रामजन्मभूमि पर रामलला के प्राकट्य के बाद वहां रामलला को अक्षुण्ण रखने के लिए जान लड़ा दी थी। वह स्वयं भी रामजन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से जुड़े रहे और इसी पात्रता के चलते उन्हें 1992 में रामलला का अर्चक नियुक्त किया गया।
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