Acharya Satyendra Das: 33 सालों तक राम मंदिर के मुख्य पुजारी रहे, रामलला और हनुमान जी की सेवा में बिताया पूरा जीवन
अयोध्या के (Ram Mandir) राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) ने भगवान राम व हनुमान जी की सेवा में अपना पूरा जीवन बिताया। आचार्य का 87 वर्ष की आयु में बुधवार को निधन हो गया। उन्हें ब्रेन हेमरेज के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से अयोध्या में शोक की लहर है।

जागरण संवाददाता, अयोध्या। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का बुधवार की सुबह 87 वर्ष की आयु में साकेतवास हो गया। उन्हें तीन फरवरी को ब्रेन हेमरेज के बाद संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ में भर्ती कराया गया था। वहां उनका उपचार चल रहा था। उनके अस्वस्थ होने की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई गणमान्य लोगों ने अस्पताल पहुंच कर उनका हालचाल जाना था।
बुधवार की सुबह निधन की खबर फैलते ही अयोध्या के मठ-मंदिरों में शोक की लहर दौड़ गई। जिसने भी यह खबर सुनी, वह व्यथित हो गया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, सदस्य डॉ. अनिल कुमार मिश्र, राम मंदिर के व्यवस्थापक गोपाल राव सहित रामलला के सभी सहायक पुजारी भाव-विह्वल हो उठे।
मुख्य पुजारी के शिष्य व रामलला के सहायक पुजारी प्रदीप दास ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर अयोध्या पहुंच गया है। गुरुवार को दोपहर 12 बजे उन्हें सरयू नदी में जल समाधि दी जाएगी।
बचपन में ही आयोध्या आ गए थे सत्येंद्र दास
संत कबीर नगर के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे आचार्य सत्येंद्रदास बचपन में ही अयोध्या आ गए थे। यहां हनुमानगढ़ी में शिक्षा-दीक्षा लेकर वह बजरंग बली की सेवा में जुट गए और राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय रहकर अपनी सहभागिता निभाई थी। वर्ष 1992 में जब विवादित ढांचा ध्वस्त हुआ और रामजन्मभूमि पर कपड़े से घेर कर मंदिर बनाया गया तो विराजमान रामलला की सेवा के लिए उन्हें मुख्य पुजारी नियुक्त किया गया था।
उस समय अधिग्रहीत परिसर फैजाबाद के मंडलायुक्त के अधीन रहा। इस कारण जब उनसे पारिश्रमिक के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मात्र 100 रुपये लेकर रामलला की सेवा शुरू की थी। वर्ष 2018 में कमिश्नर के निर्देश पर उनका मानदेय बढ़ाकर 12 हजार रुपये किया गया था।
आचार्य सत्येंद्र दास ने जीवन भर रामलला और बजरंग बली की सेवा की
वर्ष 2024 में जब रामजन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर निर्मित हुआ, तब भी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उन्हें मुख्य पुजारी पद पर नियुक्त किए रखा। वह लगभग 33 वर्षों तक रामलला के मुख्य पुजारी बने रहे।
कुछ महीने पूर्व ट्रस्ट ने उनका और उनके सहयोगी पुजारियों का मानदेय बढ़ा दिया था तो मुख्य पुजारी को प्रतिमाह लगभग 35 हजार रुपये मिलने लगे थे। आचार्य सत्येंद्रदास ने जीवनपर्यंत बजरंग बली व रामलला की सेवा की है। यही कारण है कि बुधवार को उनके निधन की सूचना मिली तो शोक की लहर दौड़ गई है।
माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन गोलोकवासी हुए आचार्य : चंपत राय
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि आचार्य सत्येंद्रदास ने जीवन भर भगवान राम व हनुमान जी की सेवा की है। उन्होंने छात्रों को संस्कृत पढ़ाई, व्याकरण पढ़ाया। उन्होंने केवल 100 रुपये लेकर भगवान की सेवा शुरू की थी।
कहा था कि मैं हनुमानगढ़ी का साधु हूं, कुछ भी दे दो। ऐसे विरक्त पुरुष के चरणों में मैं अपनी श्रद्धा अर्पित करता हूं। वह जीवन भर परमात्मा की आराधना में लगे रहे, इसलिए उनके शरीर का अंत भी माघ पूर्णिमा के पवित्र दिन हुआ है। ऊं शांति, ऊं शांति।
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