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    राम मंदिर के शिखर पर लगने वाले ध्वज के आकार पर हो रहा मंथन, इस दिन फहराएगा झंडा; पीएम मोदी हो सकते हैं शामिल

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 06:27 PM (IST)

    अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के मुख्य शिखर पर लगने वाले ध्वज की डिजाइन विशेष होगी। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपतराय ध्वजों की डिजाइन पर काम कर रहे हैं और धर्म गुरुओं से सलाह ले रहे हैं। ध्वज पर भगवान सूर्य का प्रतीक या रामो विग्रहवान् धर्मः प्रिंट किया जा सकता है। इसका रंग केसरिया या पीला हो सकता है। 25 नवंबर को ध्वज फहराया जाएगा।

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    राम मंदिर के शिखर पर फहराने वाले ध्वज का होगा विशिष्ट आकार प्रकार। जागरण फोटो

    प्रवीण तिवारी, अयोध्या। नव्य और भव्य राम मंदिर के मुख्य शिखर सहित इसके अन्य उप शिखरों पर लगने वाले ध्वज की डिजाइन विशेष होगी। इसके आकार प्रकार पर विमर्श शुरू हो गया हैं। एक बड़ा ध्वज (पताका) मुख्य शिखर पर तथा शेष उप शिखरों पर छोटी पताका फहरायी जाएगी।

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    परिसर में निर्मित पूरक मंदिरों के शिखरों पर भी ध्वज सज्जित होंगे। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपतराय ध्वजों की डिजाइन को लेकर होमवर्क कर रहे हैं। इसके रूप-रंग को लेकर धर्म गुरुओं व तकनीकी विशेषज्ञों से राय ली जा रही है।

    दरअसल मुख्य पताका कितनी बड़ी होगी, उस पर क्या चिह्न प्रिंट होगा, इसी पर चर्चा की जा रही है। ध्वज का आकार चतुष्कोणीय (चौकोर) या त्रिकोणीय हो सकता है।

    रामलला के पितृ पुरुष सूर्य भगवान का प्रतीक, सूर्यवंश राज्य का चिह्न कोविदार का पौधा या फिर वाल्मीकि रामायण में उद्धृत ब्रह्म वाक्य रामो विग्रहवान् धर्मः में से एक ध्वज पर प्रिंट किए जाने पर चर्चा चल रही है। इसका रंग केसरिया या पीला में से चुना जाना है।

    15 दिनों में डिजाइन तैयार हो जाएगी। ध्वज के कपड़े को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। 25 नवंबर को समारोह पूर्वक मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज फहराया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आ सकते हैं।

    दरअसल मंदिरों के शिखर पर पारंपरिक व शास्त्र सम्मत रंग व चिह्न वाला ध्वज ही लगाया जाता है, जो ईश्वर के प्रति सम्मान, भक्ति और पवित्रता को व्यक्त करता है। वैदिक शास्त्रों के मर्मज्ञ बताते हैं कि मंदिर में विराजित देवताओं के अनुरूप ही ध्वज का रंग व आकार तय होता है, जैसे शिव के लिए सफेद और विष्णु के लिए पीले रंग के ध्वज को शिखर पर फहराया जाता है।

    शास्त्रों के विधान के अनुरूप मंदिरों के ध्वज का आकार व रंग तय होता है। विद्वानों का मत है कि मंदिर में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं के शिखर पर अलग-अलग रंग के ध्वज फहराया जाना तय है। आरोहण का भी विस्तृत विधान है।

    वैदिक आचार्य संजय शास्त्री कहते हैं कि ध्वज हवा में फहराता कपड़ा नहीं है। ध्वज देवत्व, विजय, भक्ति और पवित्र स्थान को प्रदर्शित करता है।

    मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र ने बताया कि ध्वज की डिजाइन ट्रस्ट सचिव चंपतराय की देखरेख में तैयार हो रही है। एक अन्य ट्रस्टी डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि इसका निर्णायक व विस्तृत ब्योरा तो बाद में ही दिया जा सकता है।

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