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    राम मंदिर के बाद अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का स्टेटस? जितने जोश से उठी थी आवाज उतना ही ढीला पड़ा काम

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 03:23 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मस्जिद निर्माण का काम ठंडे बस्ते में है। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की सुस्ती के कारण परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। मस्जिद के लिए आवंटित भूमि की स्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं और स्थानीय मुसलमानों की रुचि कम होती दिख रही है। जमीन की कमी भी एक बड़ी समस्या बताई जा रही है।

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    ढीले पड़ते जा रहे मस्जिद निर्माण के जिम्मेदार कंधे, छह साल बाद भी मानचित्र तक स्वीकृत नहीं

    रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के चलते नौ नवंबर 2019 को बाबरी मस्जिद की दावेदारी सदैव के लिए समाप्त हो गई, किंतु उसकी भरपाई के लिए कोर्ट ने एक अन्य मस्जिद के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

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    करीब छह साल बाद भी मस्जिद निर्माण ठंडे बस्ते में है और इसके पीछे इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की दुविधा है। कोर्ट का निर्णय आने के कुछ दिन बाद ही गठित इंडो इस्लामिक फाउंडेशन की ओर से शुरू में खूब उत्साह व्यक्त किया गया और इसी के चलते धारणा बनी कि बाबरी मस्जिद का अस्तित्व विलीन होने के बाद बनने वाली मस्जिद मुस्लिम समुदाय के लिए रामजन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर की तरह प्रतिष्ठापरक होगी।

    यद्यपि यह अपेक्षा अब बेमानी सिद्ध हो रही है। सच यह है कि जिन कंधों ने इस मस्जिद के निर्माण की जिम्मेदारी संभालने का संकल्प लिया था, वही अब ढीले पड़ते जा रहे हैं।

    कल्चरल फाउंडेशन के एक सदस्य नाम गोपनीय रखने की शर्त पर सवाल उठाते हैं, जिस अयोध्या विकास प्राधिकरण ने राम मंदिर के लिए सभी विभागों की एनओसी बैठे-बैठे प्राप्त कर ली।  वहीं, मस्जिद निर्माण करने वाले ट्रस्ट से अपेक्षा की जा रही है कि वह एक-एक विभाग से एनओसी की चिरौरी करता घूमे।

    शहीद शोध संस्थान के अध्यक्ष सूर्यकांत पांडेय कहते हैं, मस्जिद निर्माण करने वाले ट्रस्ट को मंदिर निर्माण करने वाले ट्रस्ट का प्रतिस्पर्द्धी बनने की जगह अपनी भूमिका के प्रति सत्यनिष्ठा और पूरी प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए मस्जिद का मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए प्राधिकरण को सभी आवश्यक अभिलेख उपलब्ध कराने चाहिए।

    इस अपेक्षा के विपरीत इंडो इस्लामिक फाउंडेशन लंबे समय से उदासीनता बरत रहा है। चार साल की मशक्कत के बाद जब विकास प्राधिकरण ने जनसूचना के तहत मांगी गई जानकारी देते हुए मस्जिद का मानचित्र अस्वीकृत किए जाने की जानकारी दी, तब भी इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की तंद्रा नहीं टूट रही है।

    इतना ही नहीं संभावनाओं के विपरीत बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे स्थानीय मुस्लिम नेता हाजी महबूब ने मस्जिद के लिए सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई भूमि की अवस्थिति पर ही प्रश्न खड़ा किया है।

    उनका मानना है कि कोर्ट की भावना के अनुरूप मस्जिद निर्माण की भूमि अयोध्या की आंतरिक सीमा में दी जानी थी, किंतु सरकार ने इसे अयोध्या शहर से 20 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के ग्राम धन्नीपुर में उपलब्ध कराई।

    अब कम बताई जा रही धन्नीपुर की भूमि

    मस्जिद का मानचित्र आवेदन के 50 माह बाद जब अस्वीकृत हुआ है, तब इंडो इस्लामिक फाउंडेशन के अध्यक्ष जुफर फारुकी की ओर से यह बताया जा रहा है कि मस्जिद के साथ अन्य सुविधाओं का भी विकास होना है, जिसके लिए धन्नीपुर में मिली पांच एकड़ जमीन कम पड़ रही है और ऐसे में वह ज्यादा जमीन ढूंढ रहे हैं।

    इसी परिप्रेक्ष्य में जो नक्शा पहले जमा किया गया था, वह वापस ले लिया गया है। वक्फ बोर्ड, सब कमेटी अयोध्या के अध्यक्ष आजम कादरी कहते हैं कि स्थानीय मुसलमानों की रुचि इस मस्जिद में नहीं रह गई। उन्होंने कहा कि इस मस्जिद का निर्माण बहुत मुश्किल लग रहा है, जब तक सरकार नहीं चाहेगी तब तक कुछ नहीं होगा।