Ayodhya: ध्वंस से उबर सृजन का प्रतिमान गढ़ रही रामनगरी, अयोध्या है अजिता-अपराजिता
anniversary of demolishment of controversial structure: अपमान-अवमान के दौर को पीछे छोड़ रामनगरी की गौरव यात्रा में मील के पत्थर की तरह अमिट-अविस्मरणी ...और पढ़ें

दिव्य, भव्य और चिरस्थाई राममंदिर
नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या : देश की पहली सोलर सिटी... अयोध्या। मेडिकल कालेज। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट। अंतरराज्यीय बस अड्डा। अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से युक्त रेलवे स्टेशन। लता चौक। चूड़ामणि चौराहा। गुप्तारघाट में नवविकसित बेहद आकर्षक उद्यान। विदेश में होने का एहसास कराता गुप्तारघाट जाने वाला मार्ग।
रामपथ। भक्ति पथ। धर्मपथ और सबसे बढ़कर जन्मभूमि पर दिव्य, भव्य और चिरस्थाई ...राममंदिर। जिस अयोध्या में निवेश को अत्यंत जोखिम भरा माना जाता था, वहां निवेशक आने को आतुर हैं। बड़े-बड़े ब्रांड अपने आउटलेट खोल रहे हैं। नामी ब्रांड अपने होटल बना रहे हैं। रियल स्टेट कारोबारी निवेश कर रहे हैं। ... लेकिन 33 वर्ष पहले अयोध्या के इस स्वरूप की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। यह नई अयोध्या है, जो ध्वंस से उबर सृजन का प्रतिमान गढ़ रही है।
स्याह स्मृति से उबर सृजन का स्वर्णिम कीर्तिमान
यूं भी अयोध्या को अजिता-अपराजिता माना जाता है, जिसे युद्ध में जीता न जा सके। चाहे वह एक मार्च 1528 को आक्रांताओं के रामजन्मभूमि पर बने मंदिर का ध्वंस करना रहा हो या उसकी प्रतिक्रिया में छह दिसंबर 1992 का ध्वंस। रामनगरी अब ध्वंस की स्याह स्मृति से उबर सृजन का स्वर्णिम कीर्तिमान गढ़ रही है। 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा का अवसर अवसर अपमान-अवमान के दौर को पीछे छोड़ रामनगरी की गौरव यात्रा में मील के पत्थर की तरह अमिट-अविस्मरणीय बन गया। इसी के साथ ही रामनगरी भी श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी के रूप में स्पर्श पा रही है।
रामजन्मभूमि पथ पर दर्शनार्थियों की लंबी कतार
अयोध्या की स्वीकार्यता को यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या से भी समझा जा सकता है। वह भी एक या दो नहीं, बल्कि अनेक राज्यों और देशों से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों से भी। आरोह का शिखर रामजन्मभूमि पथ पर दर्शनार्थियों की लंबी कतार से बिंबित होता है। इस कतार से लघु भारत का दर्शन भी होता है। कोई पंजाबियत की भाव-भाषा के मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए कतार में दिखता है तो कोई कोई राजस्थानी पगड़ी बांधे।
अतीत में उलझने की आवश्यकता नहीं
विवादित ढांचा ध्वंस की तिथि के प्रश्न पर बिहार से रामलला के दर्शन के लिए आए करीब 45 वर्षीय अविनाश यादव कहते हैं, अब अतीत में उलझने की आवश्यकता नहीं। उन जैसों की आकांक्षा भव्य मंदिर एवं दिव्य अयोध्या निर्मित करने के प्रयास से परिलक्षित भी हो रही है। तुलसी उद्यान, रामकीपैड़ी, रानी हो का स्मारक और भजन संध्या स्थल जैसे केंद्र नया कलेवर ग्रहण कर दिव्य अयोध्या का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
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डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के व्यवसाय प्रबंध एवं उद्यमिता विभाग के प्राध्यापक डा. राना रोहित सिंह कहते हैं, अयोध्या ध्वंस के आघात से उबरना जानती है। बदलती, दमकती, चमकती और अपने स्वरूप पर इतराती अयोध्या इसका प्रमाण है।

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